कोटा के मथुराधीश मंदिर पर हुआ खसखाने के बंगले का मनोरथ

0
5

कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री मथुराधीश मंदिर पाटनपोल पर रविवार को उष्ण काल के सेवाचर्या के तहत् खसखाने के बंगले का मनोरथ किया गया। इस दौरान मथुराधीश प्रभु निज तिबारी के चौक में बनाए गए खस के बंगले में विराजे। इस अवसर पर गिरीराज जी पधाराए गए और यमुना जी भरी गईं।

ठाकुर जी के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती रही। प्रभु के अलौकिक दर्शन पाकर महिलाऐं बलाइयां लेती रहीं तो पुरूष जयकार से हवेली को गूंजा रहे थे।वहीं “सुंदर तिबारो खसखाने को बनायो है.. बैठे ब्रजराज कुंवर मन को हरत है। अतिसुगंध जल बहु भांतिन के बेला भर, लाए लाए सखि सब छिरक्यौ करत हैं..” सरीखे कीर्तन के पद भी गूंज रहे थे।

उल्लेखनीय है कि प्रभु के सुखार्थ खसखाने का बंगला मनोरथ अतीव सुंदर भावना से किया जाता है। महामंत्री मोनू व्यास ने बताया कि पुष्टिमार्ग में प्रभु के बालभाव की सेवा होती है। जब तक प्रभु ब्रज में बिराजते थे तब तक आपने ब्रज के एक सामान्य ग्वाले की भांति लीला की। इन्हीं समय प्रभु जब वैशाख–जेठ मास की भीषण गर्मी के समय में भी गौचारण के लिए जाया करते थे।

गौचारण के दौरान जब गौ और ग्वाल सब थक कर वृंदावन की पावन भूमि व श्री यमुना जी के पुलीन तट पर बैठ दुपहरी का समय बिताते थे। तब ब्रज के ग्वाल–बाल सखा प्रभु के सुखार्थ ब्रजमंडल में पाए जाने वाली एक प्रकार की औषधीय घास सूखी खस को एकत्र कर एक झोपड़ी का निर्माण करते थे। ताकि प्रभु का धूप व दोपहर की गर्म हवाओं अथवा लू से बचाव होता रहे। साथ ही खस में औषधीय गुण होने ये प्रभु को हर प्रकार से सुख पहुंचे।

उन्होंने बताया कि ब्रजभक्तों की इसी भावना को पुष्टिमार्ग में अंगीकार कर आगे उष्णकालीन सेवा में शीतोपचार के लिए खस के बंगले का मनोरथ किया जाता है। कल जल के मनोरथ के दर्शन 7 बजे होंगे।