नई दिल्ली। अप्रैल 2025 की गिरावट के बाद भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त रिकवरी देखने को मिली, जिसका सबसे बड़ा फायदा देश की सबसे बड़ी घरेलू संस्थागत निवेशक कंपनी LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम) को मिला है।
7 अप्रैल को जब बाजार अपने निचले स्तर पर था, तब LIC के पास मौजूद 206 शेयरों का पोर्टफोलियो ₹13.65 लाख करोड़ का था। बाजार में सुधार के चलते 16 मई 2025 तक यह पोर्टफोलियो बढ़कर ₹15.43 लाख करोड़ हो गया, यानी सिर्फ 40 दिनों में LIC को ₹1.78 लाख करोड़ का मार्केट वैल्यू फायदा हुआ।
इन शेयरों ने दिलाया सबसे ज्यादा फायदा
LIC के पोर्टफोलियो में सबसे ज्यादा वैल्यू रिलायंस इंडस्ट्रीज़ से जुड़ी है। इस स्टॉक में 25% की तेजी आई, जिससे अकेले रिलायंस ने LIC को ₹26,515 करोड़ का रिटर्न दिया। वहीं, ITC जिसमें LIC की सबसे बड़ी हिस्सेदारी (15.52%) है, वहां से ₹5,759 करोड़ की वैल्यू ग्रोथ मिली। इसके अलावा Mahindra & Mahindra, Adani Ports, Tech Mahindra, Jio Financial Services, HAL, Tata Motors और Bharat Electronics जैसे शेयरों ने भी LIC के पोर्टफोलियो को मजबूती दी। इन सभी शेयरों ने कुल मिलाकर LIC की वैल्यू में 12% का योगदान दिया।
डिफेंस स्टॉक्स ने बढ़ाई ताकत
LIC के पोर्टफोलियो में शामिल टॉप 10 PSU ने कुल ₹14,989 करोड़ की बढ़त दिलाई। इनमें डिफेंस सेक्टर की कंपनियां – Hindustan Aeronautics, Bharat Electronics, Bharat Dynamics और Cochin Shipyard के शेयरों में 28% से 52% तक की तेजी आई। इससे LIC को मजबूत रिटर्न मिला और पोर्टफोलियो में विविधता का लाभ भी दिखा।
बाजार में तेजी क्यों आई
इस रैली की प्रमुख वजह रही भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौता, भारत-पाक सीमा पर तनाव में कमी और विदेशी निवेशकों की वापसी। जनवरी से मार्च 2025 तक जहां विदेशी निवेशक (FIIs) भारी बिकवाली कर रहे थे, वहीं अप्रैल में उन्होंने ₹4,243 करोड़ और मई में अब तक ₹27,451 करोड़ की जबरदस्त खरीदारी की है। इससे भारतीय बाजार में फिर से भरोसा लौटा और निवेशकों का रुझान लौटा।
आगे का रुझान क्या रहेगा
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी कंपनियों में निवेश का मौजूदा ट्रेंड ज्यादा समय नहीं टिकेगा। Equinomics Research के हेड जी. चोक्कालिंगम का कहना है कि जैसे-जैसे भू-राजनीतिक तनाव कम होगा और ट्रेड वॉर थमेगा, निवेशक धीरे-धीरे मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की ओर रुख करेंगे। वहीं, IIFL Capital के एमडी आर. वेंकटरमण का मानना है कि Nifty का वैल्यूएशन अब सस्ता नहीं है और आर्थिक ग्रोथ में हल्की सुस्ती देखी जा रही है, ऐसे में निवेश करते वक्त सतर्क रहने की जरूरत है।