12 लाख तक की इनकम पर नहीं लगेगा कोई टैक्स, 1 अप्रैल से लागू होगा नया सिस्टम

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नई दिल्ली। New Income Tax Rules: 1 अप्रैल 2025 से नया वित्त वर्ष शुरू हो रहा है और इसके साथ ही इनकम टैक्स के कई नियमों में बदलाव देखने को मिलेगा। केंद्र सरकार ने बजट 2024 में इनकम टैक्स की नई टैक्स रीजीम को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए कई बड़े कदमों की घोषणा की थी, जो अब अमल में लाए जा रहे हैं। इन बदलावों का सबसे बड़ा असर नौकरीपेशा वर्ग पर पड़ेगा, क्योंकि यह उनकी मासिक सैलरी और टैक्स देनदारी दोनों को प्रभावित करेगा।

नहीं देना होगा टैक्स
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में स्पष्ट किया था कि नई टैक्स रीजीम के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। लेकिन यह छूट केवल नई रीजीम के अंतर्गत लागू होगी। इसलिए टैक्सपेयर्स को इस बात का मूल्यांकन करना होगा कि उनके लिए यह नई व्यवस्था फायदे का सौदा है या पुरानी रीजीम के साथ बने रहना ज्यादा लाभकारी होगा।

नई टैक्स रीजीम
पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार लगातार नई रीजीम को अधिक उपयोगी और सुविधाजनक बनाने के प्रयास कर रही है। टैक्स स्लैब में सुधार और दरों में कटौती जैसे कदम इसी दिशा में उठाए गए हैं। अब जब 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री कर दी गई है, तो यह व्यवस्था खासकर उन करदाताओं के लिए काफी लाभदायक हो गई है, जो टैक्स बचाने के लिए किसी प्रकार का निवेश नहीं करते।

पुरानी रीजीम
हालांकि नई टैक्स रीजीम में टैक्स की दरें कम हैं, लेकिन इसमें अधिकतर डिडक्शन की सुविधा नहीं मिलती। सेक्शन 80C के तहत निवेश, होम लोन पर ब्याज में छूट या हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 80D के तहत मिलने वाली राहत — ये सभी लाभ केवल पुरानी टैक्स रीजीम में ही मिलते हैं। ऐसे में जिन लोगों के पास होम लोन है या जो HRA क्लेम करते हैं, उनके लिए पुरानी रीजीम अब भी ज्यादा फायदेमंद मानी जा सकती है।

किसे क्या चुनना चाहिए
अगर आप टैक्स सेविंग स्कीमों में निवेश नहीं करते हैं और केवल सिंपल टैक्स कैलकुलेशन चाहते हैं, तो नई टैक्स रीजीम आपके लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकती है। वहीं जो लोग टैक्स बचाने के लिए निवेश करते हैं, उनके लिए पुरानी रीजीम अब भी बेहतर विकल्प है। सही रीजीम का चुनाव आपकी इनकम, निवेश और खर्चों पर निर्भर करता है — इसलिए नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले अपने टैक्स कंसल्टेंट से सलाह जरूर लें।

TDS में बदलाव
अप्रैल के पहले सप्ताह से कंपनियां अपने कर्मचारियों को ईमेल या नोटिस भेजकर यह पूछेंगी कि वे इनकम टैक्स की कौन-सी रीजीम चुनना चाहते हैं — पुरानी या नई। कर्मचारी की ओर से दिए गए जवाब के आधार पर ही अप्रैल की सैलरी से टैक्स की कटौती (TDS) शुरू हो जाएगी। ऐसे में यह जानना आवश्यक हो जाता है कि दोनों टैक्स संरचनाओं में क्या अंतर है और आपकी आय और निवेश की आदतों के अनुसार कौन-सी रीजीम आपके लिए ज्यादा बेहतर साबित हो सकती है।