नई दिल्ली। हालांकि तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में सोयाबीन का प्लांट डिलीवरी भाव पहले से ही सरकारी समर्थन मूल्य की तुलना में काफी नीचे चल रहा है और रिकॉर्ड सरकारी खरीद के बावजूद इसमें कोई खास सुधार नहीं आ सका।
मगर क्रशिंग- प्रोसेसिंग प्लांटों में अब भी इसकी मांग कमजोर बनी हुई है। दरअसल पाम तेल एवं सूरजमुखी तेल के मुकाबले सोयाबीन तेल का आयात सस्ता बैठ रहा है, जिससे भारतीय रिफाइनर्स इसे मंगाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
प्लांट भाव :सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-25 सीजन के लिए 4892 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ है और इस मूल्य स्तर पर किसानों से 16-17 लाख टन की सरकारी खरीद भी होने की सूचना मिल रही है फिर भी इसका प्लांट डिलीवरी भाव महज 4200-4300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
दरअसल पिछले कुछ सप्ताहों से तिलहन-तेल बाजारों में सुस्ती का माहौल बना हुआ है और इसलिए मिलर्स को ऊंचे दाम पर सोयाबीन खरीदने का प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। 1-7 फरवरी वाले सप्ताह के दौरान अधिकांश प्लांटों के लिए भाव नरम ही रहा जबकि कुछ इकाइयों में इसमें थोड़ी वृद्धि देखी गई।
सोया तेल (रिफाइंड) : लेकिन सोया रिफाइंड तेल की कीमत कुछ मजबूत हुई जिसका प्रमुख कारण नीचे दाम पर लिवाली होना बताया जा रहा है। इसमें आमतौर पर 10-20 रुपए प्रति 10 किलो का इजाफा दर्ज किया गया। सोया रिफाइंड तेल का भाव कोटा में 15 रुपए सुधरकर 1285 रूपए, मुम्बई में 30 रुपए बढ़कर 1260 रुपए तथा कांडला में 5 रुपए सुधरकर 1255 रुपए प्रति 10 किलो पर पहुंचा जबकि हल्दिया में स्थिर रहा।
आवक : समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मंडियों में 2.70 से 3.20 लाख बोरी सोयाबीन की दैनिक आवक हुई जबकि प्रत्येक बोरी 100 किलो की होती है।
सोया डीओसी : सोया डीओसी की घरेलू एवं निर्यात मांग कमजोर रहने से इसके दाम में 200 से 500 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। वैश्विक स्तर पर अर्जेन्टीना में भयंकर सूखा पड़ने से सोयाबीन के उत्पादन अनुमान में काफी कटौती की जा रही है लेकिन ब्राजील में भरपूर बारिश होने के कारण उत्पादन तेजी से उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। भारत में सोयाबीन तेल का सर्वाधिक आयात अर्जेन्टीना एवं ब्राजील से ही होता है।