एकल पट्टा: कोर्ट में दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती, बढ़ सकती है धारीवाल की मुश्किलें

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यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल।

जयपुर। कांग्रेस राज में चर्चित एकल पट्टा भ्रष्टाचार मामले में प्रदेश की भजनलाल सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को इस प्रकरण में अब नए सिरे से जांच का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल एकल पट्टा भ्रष्टाचार मामले में भजनलाल सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें नए सिरे से प्रकरण के जांच की मांग के साथ पुनरीक्षण याचिका दी है। याचिका में ट्रायल कोर्ट के फैसले को भी स्वीकार किया गया, जिसमें अभियोजन को वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।

अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा और विशेष लोक अभियोजक (SPP) अनुराग शर्मा की सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा है कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर क्लोजर रिपोर्ट्स, जिनके आधार पर पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य को बरी कर दिया गया था वह अधूरी और दोषपूर्ण साक्ष्य जांच पर आधारित थी।

राजस्थान सरकार ने मामले में कानूनी सहायता के लिए भारत के सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू और अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा को नियुक्त किया है। जानकारी के मुताबिक 10 फरवरी को इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है।

क्या है एकल पट्टा प्रकरण?
तत्कालीन गहलोत सरकार के कार्यकाल में 29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेन्द्र गर्ग के नाम पट्टा जारी किया था। इस मामले को लेकर आरोप लगाया गया कि इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। पुराने रिजेक्शन की जानकारी जुटाए बिना ही नया पट्टा जारी किया गया है। परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में इसकी शिकायत एसीबी से की थी। मामला बढ़ा तो तत्कालीन गहलोत सरकार ने पट्टा रद्द कर दिया था। इस मामले में यूडीएच में तैनात सीनियर आईएएस जीएस संधू समेत 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। एसीबी ने इस मामले में शांति धारीवाल से भी पूछताछ की थी। बाद में इस मामले में परिवादी ने शांति धारीवाल को भी आरोपी बनाने का प्रार्थना पत्र लगाया था। इसके खिलाफ शांति धारीवाल ने हाईकोर्ट में अपील की थी। तब सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने धारीवाल को राहत देते हुए एसीबी कोर्ट में चल रही प्रोटेस्ट पिटिशन और अन्य आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने के आदेश दिए थे।