अंतरिक्ष में छह ग्रह नजर आए एक साथ, मोशन के छात्रों ने देखी प्लैनेट परेड

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कोटा। बुधवार रात स्टूडेंट्स ने अंतरिक्ष में छह ग्रहों-वीनस, मार्स, ज्यूपिटर, सेटर्न, नेपच्यून और यूरेनस की परेड देखी। इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया स्थित मोशन एजुकेशन के द्रोणा- 2 कैम्पस में कक्षा 5 से 9 तक के करीब 500 स्टूडेंट्स ने उत्साह के साथ यह दुर्लभ नजारा देखा। इसके लिए शाम पौने छह से देर रात तक चार विशेष टेलीस्कोप लगाए गए। इस दौरान मोशन एजुकेशन के चेयरमैन सुरेंद्र विजय भी मौजूद थे।

मोशन एजुकेशन के फाउंडर और सीईओ नितिन विजय ने बताया कि जब कुछ ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आते हैं, तो इसे प्लैनेट परेड या प्लैनेटरी अलाइनमेंट कहते हैं। हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों तरफ घूमते हैं। जब कुछ ग्रह थोड़े वक्त के लिए सूरज की एक तरफ इकट्ठा हो जाते हैं, तो ऐसा लगता है कि वे एक दूसरे के आसपास हैं। इस दौरान पृथ्वी से बृहस्पति, शुक्र और मंगल जैसे ग्रह अंधेरे में बिना टेलिस्कोप की मदद के सामान्य आंखों से भी दिख जाते हैं, लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे ग्रहों को देखने के लिए प्रोफेशनल टेलिस्कोप की जरूरत होती है।

नितिन विजय ने बताया कि सामान्य तौर पर खुली आंखों से ग्रह बेहद छोटे नजर आते हैं। यह तारे से अलग छोटे-छोटे चमकदार बिंदुओं की तरह दिखाई देते हैं। ग्रह तारों की तरह नहीं टिमटिमाते। इनकी चमक स्थिर रहती है। ग्रहों को देखने के लिए जरूरी है कि आसमान में बादल और वायु प्रदूषण कम हो, जिससे इसे आसानी से देखा जा सके।

मोशन एजुकेशन की डायरेक्टर डॉ. स्वाति विजय ने बताया कि इस परेड को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के लगभग 45 मिनट बाद रहा। बुधवार को इस परेड में सिर्फ 6 ग्रह दिखाई दिए। प्लैनेट परेड के दौरान शुक्र ग्रह सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखा।

वहीं, मंगल ग्रह लाल रंग के बिंदु जैसा नजर आया। इसके अलावा शनि धुंधले बिंदु जैसा और बृहस्पति ग्रह सफेद बिंदु की तरह दिखाई दिया। टेलिस्कोप की मदद से बृहस्पति के चारों चंद्रमा भी नजर आए। इन्हें सामान्य आंखों से देखने में कोई समस्या नहीं हुई, क्योंकि ग्रहों से आने वाली रोशनी सूर्य की तरह तेज या हानिकारक नहीं होती।

इस दौरान एक्सपर्ट्स निवेश बादल ने बताया कि ग्रहों का एक साथ आना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। न ही यह कोई अनियमित या अजीब घटना है। हालांकि, ये कई सालों में होने वाली एक दुर्लभ घटना जरूर है। प्लैनेट परेड एक अस्थायी घटना होती है और यह ग्रहों की स्थिति बदलने पर खत्म हो जाती है।

ग्रहों के ऑर्बिट स्थिर होती हैं, लेकिन वे समय के साथ धीमी गति से बदलते रहते हैं। जैसे ही सभी ग्रह अपने-अपने ऑर्बिट पर चले जाते हैं, तो परेड भी खत्म हो जाती है। हालांकि, सूरज का चक्कर लगाने में इन ग्रहों की स्पीड, रास्ता और लगने वाला समय अलग-अलग होता है।

मोशन एजुकेशन-फाउंडेशन डिवीजन के एकेडमिक हैड मुकेश गौड़ ने बताया कि ऐसी दुर्लभ घटना कई सालों में एक बार होती है। इस साल यह परेड भारत में 21 जनवरी से देखी जा रही है। इसको 13 फरवरी तक देखा जा सकेगा। इस दौरान परेड में ग्रह बढ़ते-घटते रहेंगे।

इससे पहले यह घटना 28 अगस्त 2024 को हुई थी। जब बुध, मंगल, यूरेनस, नेपच्यून और शनि ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आए थे। हालांकि, यह घटना केवल लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में ही दिखाई दी थी। 28 मार्च 2023 को भी 5 ग्रह शुक्र, मंगल, बृहस्पति, मर्करी और यूरेनस एक सीध में नजर आए थे।