देश के 80 फीसदी जौहरी धन शोधन के दायरे में

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  • सरकार ने दो करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करने वाले सराफा कारोबारियों को धनशोधन निरोधक कानून के दायरे में लाने का फैसला किया है

मुंबई। सराफा कारोबारियों और जौहरियों पर सरकार की नजर और भी पैनी होती जा रही है। कालेधन पर रोक लगाने और सोने की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने दो करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करने वाले सभी सराफा कारोबारियों और जौहरियों को धनशोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) के दायरे में लाने का फैसला किया है।

सरकार ने 23 अगस्त को इस बारे में  अधिसूचना जारी की थी। सरकार को अंदेशा है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बावजूद सराफा कारोबार में गोलमाल हो रहा है जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार के इस फैसले से सराफा बाजार में हड़कंप मचा है।

हालांकि किसी ने इस फैसले का खुलकर विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखाई है। इंडियन बुलियन ज्वैलरी एसोसिएशन के सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि सरकार के फैसले से किसी को घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद सभी तरह का कारोबार पहले ही ऑन पेपर हो चुका है।

सराफा कारोबारी पहले से ही वैध तरीके से कारोबार करते थे लेकिन इसका असर छोटे जौहरियों पर पड़ेगा। सरकार के नए नियम से देश के 80 फीसदी जौहरी पीएमएलए कानून के दायरे में आ जाएंगे। मेहता के मुताबिक देश में करीब छह लाख जौहरियों का सालाना कारोबार 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है।

उन्होंने सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सरकार के पास पहले से ही कर्मचारियों और डेटा बेस की कमी है, ऐसे में वह छह लाख नए कारोबारियों का डेटा कैसे देख पाएगी। इस सीमा को बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि इससे कानून के दुरुपयोग की आशंका है।

छोटे एवं ग्रामीण इलाके के जौहरियों को परेशान किया जा सकता है। दरअसल कारोबारी इस कानून के नाम से घबरा रहे हैं। उन्हें आशंका है कि अधिकारी इसका दुरुपयोग कर सकते हैं। साथ ही सरकार ने नकद खरीद सीमा दो लाख रुपये से घटाकर 50 हजार रुपये कर दी।

मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के सचिव कुमार जैन कहते हैं कि पीएमएलए के हिसाब से अब हर सराफा कारोबारी और जौहरी को 50 हजार रुपये के ऊपर के प्रत्येक लेनदेन पर केवाईसी लेना अनिवार्य है।