धृतराष्ट्र को कोर्निया का दान मिल गया होता तो महाभारत नहीं होती

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 केवल कुछ बीमारियों जैसे एड्स एवं हेपेटाइटिस को छोड कर सभी व्यक्ति नेत्रदान कर सकते हैं

कोटा । ओम कोठारी ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूट्स में शनिवार को इंडियन सोसाइटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट कोटा चैप्टर एवं आई बैंक सोसायटी ऑंफ राजस्थान के तत्वाधान में ’’आई डोनेशन अवेयरनेस’’ सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय स्टाफ एवं विद्यार्थियों द्वारा कुल 101 नेत्रदान हेतु संकल्प पत्र भी भरे गये।

 सेमिनार में डॉक्टर महेश पंजाबी ने कहा कि नेत्रदान महादान है जो कि मरणोपरान्त भी ऑंखो को जीवित रख सकता है। उन्होने नेत्रदान के क्षेत्र में समाज में फैली भ्रांतियों का भी जिक्र किया। उन्होने कहा कि केवल कुछ बीमारियों जैसे एड्स एवं हेपेटाइटिस को छोड कर सभी व्यक्ति नेत्रदान कर सकते है।

सेमिनार को संबोधित करती इंडियन सोसाइटी फॉर ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट की चेयरपर्सन अनीता चौहान।

डॉक्टर केके कजोलिया ने कहा भारत में बहुत से लोग कोर्नियल ब्लाइंडनेस से ग्रसित है। एक कोर्निया दो या अधिक व्यक्तियों की जिन्दगी रोशन कर सकता है। डॉक्टर सुरेश पाण्डेय ने पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से कोर्निया निकालने एवं प्रत्यारोपित करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।

उन्होने कहा यह बहुत ही सरल प्रक्रिया है। मृत व्यक्ति की देह से कोर्निया निकालने में दस मिनट एवं प्रत्यारोपित करने में लगभग 50 मिनट का समय लगता है। उसके बाद कोर्निया की ग्रेडिग कर प्रत्यारोपित किया जाता है।

वर्धमान महावीर खुला विश्व विद्यालय के मेनेजमेंन्ट डिपार्टमेन्ट हेड प्रोफेसर पी के शर्मा ने कहा यदि सभी मृत व्यक्तियों द्वारा नेत्रदान किया जाये तो देश में कोई भी अन्धता से ग्रसित नही होगा। उन्होने धृतराष्ट्र का उदाहरण लेते हुए कहा कि यदि उनके पास नेत्र होते तो महाभारत नही होती ।

कार्यक्रम के अन्त में आई.एस.टी.डी कोटा चैप्टर चेयरपर्सन अनिता चौहान ने सभी को धन्यवाद दिया कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता प्रतीक गुप्ता ने किया।