प्राइस वार के चलते एयरटेल, वोडा, आइडिया का AGR घटा

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जियो के नेटवर्क से शुरू होने वाली ज्यादातर कॉल्स दूसरी कंपनियों के नेटवर्क पर खत्म होती हैं। 

कोलकाता। देश की टॉप 3 टेलिकॉम कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर अपने टॉप एंड कस्टमर्स को बचाने के लिए रिलायंस जियो इन्फोकॉम से मुकाबला कर रही हैं। जियो की अग्रेसिव प्राइसिंग की वजह से तिमाही आधार पर अप्रैल-जून क्वॉर्टर में उनके अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) में गिरावट आई है।

अप्रैल-जून तिमाही में तीनों कंपनियों के एजीआर में बड़ी कमी आई है। इसकी दो वजहें हैं। एक तो ग्राहकों ने खर्च घटा दिया है और दूसरा टैरिफ घट गया है। दरअसल, जियो की अग्रेसिव प्राइसिंग के बीच ग्राहकों को साथ बनाए रखने के लिए इन कंपनियों को अपने रेट्स घटाने पड़े हैं।

अप्रैल-जून क्वॉर्टर में भारती एयरटेल का एजीआर तिमाही आधार पर 4.6 पर्सेंट गिरकर 9,900 करोड़ रुपये रह गया, जबकि वोडाफोन इंडिया का 2.3 पर्सेंट की गिरावट के साथ 7,100 करोड़ रुपये और आइडिया सेल्युलर का 3.8 पर्सेंट फिसलकर 6,200 करोड़ रुपये रहा।

यह जानकारी ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्यॉरिटीज ने एक नोट में दी है। उसने टेलिकॉम रेग्युलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के डेटा की पड़ताल के बाद दी है।

आईसीआईसीआई सिक्यॉरिटीज के ऐनालिस्ट संजेश जैन ने बताया कि जियो का ग्रॉस रेवेन्यू जून तिमाही में 1,100 करोड़ रुपये रहा, लेकिन उसका एजीआर माइनस 1,000 करोड़ रुपये रहा।

उसकी वजह यह है कि कंपनी को जितनी आमदनी हुई, उससे कहीं अधिक पैसा उसे इंटरकनेक्ट यूसेज चार्ज (आईयूसी) के तौर पर दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को देना पड़ा। जैन ने क्लायंट्स को भेजे नोट में इसका जिक्र किया है।

विदेशी ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के ऐनालिस्टों का कहना है कि जियो की आईयूसी कॉस्ट में तेज बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि जून क्वॉर्टर में कंपनी के नेगेटिव एजीआर का मतलब यह है कि उसे इंटरकनेक्ट पेमेंट के तौर पर 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा।

स्विस ब्रोकरेज फर्म ने बताया कि जियो के 2,150 करोड़ रुपये के आईयूसी पेआउट का मतलब यह है कि यह जनवरी-मार्च 2017 तिमाही से 43 पर्सेंट अधिक है। मार्च तिमाही में कंपनी ने 1,500 करोड़ रुपये का भुगतान इस मद में किया था।

क्या है आईयूसी
जियो के नेटवर्क से शुरू होने वाली ज्यादातर कॉल्स दूसरी कंपनियों के नेटवर्क पर खत्म होती हैं। इसलिए उसे आईयूसी के तौर पर अधिक पैसा चुकाना पड़ रहा है। अगर किसी एक ऑपरेटर के नेटवर्क से शुरू हुई कॉल दूसरे ऑपरेटर के नेटवर्क पर खत्म होती है तो पहले ऑपरेटर को दूसरी कंपनी को एक फीस चुकानी पड़ती है, जिसे आईयूसी कहते हैं।

इसी वजह से जियो आईयूसी में कटौती का दबाव बना रही है, जो अभी 14 पैसे प्रति मिनट है। वहीं, एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियां इसे बढ़ाने की मांग कर रही हैं। टेलिकॉम इंडस्ट्री का कुल एजीआर जून तिमाही में मार्च तिमाही के मुकाबले 4.7 पर्सेंट घटकर 28,300 करोड़ रुपये रहा।