कच्चे व रिफाइंड पाम तेल के आयात शुल्क में बढ़ोतरी

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नयी दिल्ली।  सरकार ने विदेशों से सस्ता आयात रोकने और किसानों तथा घरेलू उद्योगों को समर्थन देने के लिये कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया। इसी तरह रिफाइंड पाम तेल पर भी आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया।

सरकार का मानना है कि इससे स्थानीय स्तर पर कीमतों को बल मिलेगा जिससे घरेलू किसानों व रिफाइनर फर्मों को समर्थन मिलेगा। केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड सीबीईसी की शुक्रवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक सोया व सूरजमुखी जैसे अन्य कच्चे खाद्य तेलों के लिए भी आयात शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 17.5 प्रतिशत किया जा चुका है।

आयात शुल्क में इस बढोतरी से मलेशिया तथा इंडोनेशिया से कच्चे तेल व रिफाइंड पाम आयल के सस्ते आयात पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और किसानों का इसका फायदा होगा। तिलहनों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे गिरने की वजह से किसान काफी निराश हैं।

तिलहनों की बंपर पैदावार होने और विदेशों से बढ़ते सस्ते आयात की वजह से कई तिलहनों के दाम बाजार में गिरे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समिति ने 27 जुलाई को देश में खाद्य तेल उपलब्धता की समीक्षा की थी।

समिति ने देश में बढ़ते आयात पर भी गौर किया। इसके बाद देश में खाद्य तेलों के सस्ते आयात की निगरानी करने और आयात शुल्क ढ़ाचे को देखने के लिये एक समिति का गठन किया गया। खाद्य तेल उद्योग के संगठन साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसियेसन एसईए ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। संगठन ने कहा है कि इससे किसानों का मदद मिलेगी।

हालांकि, संगठन कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पॉम तेल के बीच आयात शुल्क में 15 प्रतिशत तक का अंतर चाहता है ताकि घरेलू उद्योगों को सहारा मिल सके। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक जून माह में खाद्य तेल आयात 15 प्रतिशत बढ़कर 13.44 लाख टन हो गया।

चालू 2016-17 विपणन वर्ष के आठ माह में खाद्य तेलों का आयात पिछले साल के 97.63 लाख टन से बढ़कर 98.63 लाख टन हो गया। देश में घरेलू मांग को पूरा करने के लिये हर साल खाद्य-अखाद्य तेलों का कुल 1.45 करोड़ टन तक आयात किया जाता है।