आम बजट दो साल बाद 26 लाख करोड़ का होगा

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नई दिल्ली । विकास दर की रफ्तार में अभी भले ही उछाल नहीं आए लेकिन सरकार व्यय करने में कंजूसी नहीं करेगी। सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सार्वजनिक व्यय में खासी वृद्धि जारी रखेगी। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार का कुल व्यय यानी आम बजट करीब 26 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा।

खास बात यह है कि इस आम बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन अच्छा खासा होगा क्योंकि अगले दो वर्षो में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में करीब 22 प्रतिशत की वृद्धि होगी। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बृहस्पतिवार को मध्यावधि व्यय फ्रेमवर्क वक्तव्य लोकसभा में रखा जिसमें ये अनुमान व्यक्त किए गए हैं।

हालांकि व्यय के ये अनुमान विकास दर के जिन आंकड़ों को आधार मानकर तय किया गया है वे अधिक उत्साहजनक नहीं है। इसे देखने पर पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर (बाजार मूल्य पर) जहां 11.75 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि अगले दो वित्त वर्ष में यह 12.3 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर रहने की उम्मीद है।

वित्त मंत्रालय के इस दस्तावेज के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार का कुल व्यय 25.95 लाख करोड़ रुपये होगा जबकि चालू वित्त वर्ष में यह 21.46 लाख करोड़ रुपये है।  वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार के कुल व्यय में पूंजीगत व्यय का आंकड़ा भी बढ़कर 3.90 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा जो कि चालू वित्त वर्ष में 3.09 लाख करोड़ रुपये है।

सरकार फिलहाल अपने पूंजीगत व्यय का एक चौथाई से अधिक रक्षा क्षेत्र पर खर्च करती है। माना जा रहा है कि वर्ष 2019-20 में रक्षा क्षेत्र का पूंजीगत आवंटन 22 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 1,04,973 करोड़ रुपये हो जाएगा। इसका मतलब है कि अगले दो वर्षो में रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में खासी वृद्धि होगी।

दो साल में सब्सिडी का बोझ और हल्का करेगी सरकार
लंबित आर्थिक सुधारों को लागू करने के साथ-साथ सरकार साल दर साल सब्सिडी का बोझ भी हल्का करेगी। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि अगले दो वर्षो में सरकार पर सब्सिडी का बोझ घटकर जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रह जाएगा।

सब्सिडी में यह कमी मुख्यत: रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी और खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी को घटाकर की जाएगी। हालांकि खाद्य सब्सिडी आने वाले वर्षो में भी बढ़ती रहेगी। मंत्रालय का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019-20 सब्सिडी पर सरकार का व्यय घटकर जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रह जाएगा जो कि चालू वित्त वर्ष में 1.4 प्रतिशत है।

खाद्य सब्सिडी का बोझ 2019-20 में बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि खाद्य सब्सिडी में बढ़ने की वजह भारतीय खाद्य निगम की देनदारियों को चुकाने के चलते बढ़ेगी। वैसे खाद्य सब्सिडी को घटाने के लिए भी सरकार प्रयास करेगी।

मंत्रालय का कहना है कि वर्ष 2015-16 में खरीफ मौसम में यूरिया का उपभोग 152.37 लाख मीटिक टन से घटकर 2016-17 में 143.71 लाख मीटिक टन रह गया है। इससे खाद सब्सिडी में लगभग 1000 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है।