बारिश नहीं हुई तो घटेगा धान का उत्पादन

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कोटा। रूठे मानसून से धान उत्पादक किसान बेबस हैं। किसानों का कहना है कि आगे भी बारिश नहीं हुई तो धान का उत्पादन आधा रह जाएगा। चूंकि बारिश के अभाव में धान की पौध की ग्रोथ नहीं हो पा रही है।

सफेद मच्छर के प्रकोप से फसल को नुकसान हो रहा है। तापमान में तेजी भी फसल को प्रभावित कर रही है। इन हालात को देखकर किसानों का कहना है कि ऐसी स्थिति में 30 फीसदी धान का प्रोडक्शन कम होने की संभावना है। 10 दिन और बारिश नहीं आई तो यह आंकड़ा 50 फीसदी पर पहुंच जाएगा।

भूजल से नहीं नेचुरल पानी बढ़ेगी ग्रोथ
अर्जुनपुरा गांव के किसान जयप्रकाश गहलोत ने बताया कि धान की अच्छी पैदावार के लिए नेचुरल पानी चाहिए, लेकिन अभी तक कम हुई बारिश से किसानों को ट्यूबवेलों से पानी देना पड़ रहा है, जो कारगर साबित नहीं हो रहा है। किसानों को डीएपी यूरिया खाद का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ रहा है। सप्ताह भर में अगर बारिश नहीं हुई तो 25 फीसदी फसल सूखकर खेतों में चौपट हो जाएगी।

दो दिन पानी नहीं देने में ही खेत में रही है दरारें
चंद्रेसल कालातालाब क्षेत्र के किसान मुकुट नागर मोहम्मद हुसैन ने बताया कि बारिश नहीं होने से धान की पौध चौपट हो रही है। दो दिन पानी नहीं देने पर खेत में दरारें नजर रही है। इससे किसान की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाएगी। चूंकि फसल को लगातार ट्यूबवेल से पानी देने पर बिजली खर्च बढ़ रहा है।

कीटनाशक का ज्यादा प्रयोग करना पड़ रहा है। इस कारण प्रति बीघा धान के उत्पादन में 7 से 8 हजार रुपए होने वाला खर्च इस बार 10 हजार के पार पहुंचेगा। ऐसे में किसान को मंडी में धान के भाव 4000 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा चाहिए।

75 हजार से ज्यादा हैक्टेयर में हो चुकी रोपाई : कृषि विस्तार विभाग के संयुक्त निदेशक पीके गुप्ता ने 2 अगस्त तक की रिपोर्ट का जिक्र करते बताया कि संभाग में 75800 हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी। अभी भी चल रही है, लेकिन बारिश कम होने से फसल प्रभावित होने की संभावना है। प्राकृतिक पानी जरूर चाहिए। अन्यथा कीट प्रकोप बढ़ेगा। प्रोडक्शन पर भी असर पड़ेगा।