गोल्ड बांड में निवेश की सीमा अब बढ़ाकर आठ गुना

बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान में बंधक के तौर पर रखे गये स्वर्ण के अतिरिक्त मानी जाएगी

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गोल्ड बांड स्कीम की तरफ आम निवेशकों को लुभाने की एक और कोशिश की है। कैबिनेट ने सरकार की इस स्कीम के तहत सालाना 500 ग्राम सोने के मूल्य के बराबर बांडस खरीदने की सीमा को बढ़ाकर आठ गुना करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

अब निवेशक चार किलो तक सोने के बराबर मूल्य के बांड खरीद सकेंगे। वित्त मंत्रालय ने इसके साथ ही कुछ और सुझाव भी दिए थे जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। नवंबर, 2015 में घोषित इस स्कीम के तहत अभी तक महज 4800 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है जो सरकार की उम्मीदों से काफी कम है।

सरकार की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक व्यक्तिगत स्तर पर और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) को अब सालाना चार किलो के बराबर मूल्य की राशि गोल्ड बांड में निवेश करने की इजाजत होगी। जबकि न्यासों को सालाना 20 किलो तक निवेश की इजाजत दी गई है।

यह होल्डिंग किसी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान में बंधक के तौर पर रखे गये स्वर्ण के अतिरिक्त मानी जाएगी और इनकी गणना वित्तीय वर्ष के आधार पर होगी। सरकार ने यह भी कहा है कि स्वर्ण बांड के विनिमय को आसान बनाने के लिए आगे और कदम उठाये जाएंगे। सरकारी बैंकों व सार्वजनिक उपक्रमों की तरफ से कदम उठाए जाएंगे।

इसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए एजेंटों को ज्यादा कमीशन देने का आश्वासन भी सरकार की तरफ से दिया गया है। वर्ष 2015 में लांच स्वर्ण बांड्स स्कीम के तहत 15 हजार करोड़ रुपये जुटाने और इसके बाद के वित्त वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अभी तक सिर्फ 4970 हजार करोड़ रुपये ही जुटाये गये हैं।

जम्मू-कश्मीर में जीएसटी लागू करने का रास्ता साफ
कैबिनेट जम्मू व कश्मीर में जीएसटी लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए मंजूरी दे दी। सरकारी बयान के अनुसार कंस्टीट्यूशन (एप्लीकेशन टू जेएंडके) एमेंडमेंट ऑर्डर 2017 के जरिये कंस्टीट्यूशन (एप्लीकेशन टू जेएंडके) ऑर्डर 1954 में संशोधन के लिए मंजूरी दे दी गई। इस प्रावधान के बाद जम्मू व कश्मीर में जीएसटी लागू किया जा सकेगा।

वेतन संहिता विधेयक को हरी झंडी
केंद्रीय कैबिनेट ने नये वेतन संहिता विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे सभी सेक्टरों में चार संबंधित श्रम कानूनों के तहत न्यूनतम वेतन वितरण सुनिश्चित होगा। कर्मचारी वेतन संहिता विधेयक में न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट 1965 और इक्वल रेम्यूनरेशन एक्ट 1976 को शामिल किया जाएगा। विधेयक के अनुसार केंद्र को सभी सेक्टरों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारण का अधिकार होगा और सभी राज्यों को इसे मानना होगा।