सारथी ऐप से एक साथ बुक हो जाएंगे ट्रेन और फ्लाइट टिकट

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नई दिल्ली। आप चाहे ट्रेन से यात्रा करना चाहते हों या फिर फ्लाइट से, टिकट बुक कराने के लिए अब आपको अलग-अलग ऐप की मदद नहीं लेनी होगी। रेलवे ने एक नई सारथी ऐप लॉन्च कर दी है जिससे यात्री फ्लाइट और ट्रेन दोनों के लिए टिकट बुक करवा सकेंगे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को यह ऐप लॉन्च की है।

ऐप के जरिए यात्री एक ही प्लेटफॉर्म से , ट्रेन में सफाई, फ्लाइट टिकट बुक और खाना ऑर्डर जैसे सभी काम कर पाएंगे। इस नए ऐप में महिला सुरक्षा, शिकायत सुविधा और सुधार के लिए सुझाव जैसे फीचर्स भी शामिल किए गए हैं।

सुरेश प्रभु ने कहा, “यात्रियों को बेहतर अनुभव देने के लिए सभी सर्विसेज को एक ही ऐप में लाना जरूरी था। अब यात्री एक ही विंडो से सभी सर्विस को यूज कर पाएंगे”। इसके साथ ही सुरेश प्रभु ने देश की पहली सौर उर्जा से चलने वाली ट्रेन डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) का डेमो भी दिया। इस पोस्ट में हम आपको सारथी एप और सौर ट्रेन से जुड़ी बड़ी बातें बताने जा रहे हैं।

  1. सारथी एप और सौर ट्रेन से जुड़ी बड़ी बातें:
     यात्रियों को अलग-अलग एप्स को डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह ऐप यात्रियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर सभी सर्विस उपलब्ध कराएगी।
  2.  यात्री इस एप के जरिए फ्लाइट टिकट भी बुक कर पाएंगे। सुरेश प्रभु ने थर्ड एसी कोच में दिव्यांगों के लिए आरक्षण की सुविधा भी शुरू की है। इसके अलावा विदेशियों के लिए एडवांस बुकिंग की सुविधा को 120 दिनों से बढ़ाकर 365 दिन किया गया है।
  3. थर्ड एसी कोच में लोअर बर्थ दिव्यांगों के लिए आरक्षित होंगी। साथ ही मिडिल बर्थ दिव्यांग के साथ सफर कर रहे यात्री के लिए रिजर्व होंगी। लेकिन आपको बता दें कि थर्ड एसी कोच में केवल एक ही लोअर बर्थ दिव्यागों के लिए उपलब्ध होगी। 
  4. कोटा प्रावधान जो कि पहले स्लीपर क्लास तक सीमित था उसे अब थर्ड एसी तक बढ़ा दिया गया है।
    इस ऐप से टिकट बुक करते समय यात्री अपना फीडबैक भी शेयर कर पाएंगे।
  5.  क्लीनर ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सुरेश प्रभु ने पहली सौर उर्जा से चलने वाली ट्रेन लॉन्च की है। उन्होंने कहा, “भारतीय रेल ऊर्जा के नॉन-कंवेंशनल सोर्सेस के उपयोग को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है”।
  6.  मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, 6 ट्रेलर-कोच के साथ सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन में 21,000 लीटर डीजल बचाने की क्षमता है। और इस प्रकार प्रति वर्ष 12 लाख रुपये की लागत बचत होती है।कोच की छत पर लगाए गए सौर पैनलों से
  7. बनने वाली बिजली से ही ट्रेन की बिजली की जरूरतें पूरी की जाएंगी। भविष्य में सौर उर्जा से चलने वाली और अधिक गाड़ियों को लॉन्च किया जाएगा।