एचपीसीएल के अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी को खुली पेशकश की जरूरत नहीं

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हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. में सरकार की पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की सैद्धांतिक मंजूरी

नयी दिल्ली। ओएनजीसी को एचपीसीएल में सरकार की 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के बाद अल्पांश शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि सौदे से अधिग्रहण संबंधी नियम लागू नहीं होगा जैसा कि 2002 में आईओसी-आईबीपी विलय में हुआ था।

पिछले सप्ताह मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने पिछले सप्ताह तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को खुदरा ईंधन और विपणन कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. में सरकार की पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। एचपीसीएल अलग सूचीबद्ध कंपनी बनी रहेगी।

ओएनजीसी को एचपीसीएल के अल्पांश शेयरधारकों को खुली पेशकश नहीं करना होगा क्योंकि सरकार की हिस्सेदारी सार्वजनकि क्षेत्र की दूसरी कंपनी को हस्तांतरित की जा रही है और वास्तव में मालिकाना हक में बदलाव नहीं हो रहा है।अधिकारी ने कहा, खुली पेशकश की जरूरत नहीं है क्योंकि प्रबंधन के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं होगा। यह संबद्ध पक्ष के बीच लेन-देन है।

सेबी की अधिग्रहण संहिता के तहत अगर कोई कंपनी किसी सूचीबद्ध कंपनी में 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी खरीदती है तो उसे अल्पांश शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश करनी होगी ताकि लक्षित कंपनी में कम-से-कम 26 प्रतिशत और हिस्सेदारी खरीद सके।

उल्लेखनीय है कि फरवरी 2002 में सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी) ने 33.58 प्रतिशत हिस्सेदारी खुदरा ईंधन कंपनी में 33.58 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण 1,153.68 करोड़ रुपये में किया था और उसे अतिरिक्त शेयर के लिये खुली पेशकश करनी पड़ी थी।

इस बारे में अधिकारी ने कहा, आईओसी और आईबीपी का विलय बोली मार्ग के जरिये हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज भी बोलीदाता में शामिल थी। उस समय आईबीपी को पूरी तरह बेचने की पेशकश की गयी, इसीलिए जब प्रबंधन बोली के जरिये बेचने का फैसला किया, खुली पेशकश का मामला आया।