दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्म निर्भर होगा भारत – राधा मोहन

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घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में अभी 50 लाख टन दाल और 1.45 करोड़ टन वनस्पति तेल हर साल आयात किया जाता है।

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भरोसा जताया है कि आने वाले वर्षों में भारत दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा। सरकार इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर गुणवत्ता के बीज और तकनीक के उपयोग को लेकर कदम उठा रही है।

घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में अभी 50 लाख टन दाल और 1.45 करोड़ टन वनस्पति तेल (खाद्य और अखाद्य दोनों) हर साल आयात किया जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के 89वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे सिंह ने कहा कि सरकार न केवल उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है, बल्कि कृषि को आय-केंद्रित बनाने के लिए भी प्रयासरत है। 

सिंह ने आइसीएआर के वैज्ञानिकों से इस लक्ष्य को पाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। साथ ही फसल की उपज और कृषि आय बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में कौशल विकास पर जोर दिया। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि व संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी 18 फीसद है।

कृषि मंत्री बोले कि हरित क्रांति ने भारत को गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। लेकिन, देश अब भी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दलहन और तिलहन का आयात कर रहा है। इसमें भारी मात्र में विदेशी मुद्रा खर्च होती है।
मंत्री के मुताबिक, फसल वर्ष 2016-17 में दालों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।

इस वर्ष बुवाई क्षेत्र भी ज्यादा है। देश आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगले दो से तीन सालों में हम दालों में आत्मनिर्भर हो जाएंगे। तिलहन पर वह बोले कि देशभर में 600 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के जरिये इनकी उत्पादकता और उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

देश में दालों का उत्पादन 2016-17 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में बढ़कर 2.24 करोड़ टन हो गया। पिछले फसल वर्ष में यह 16.15 करोड़ टन था। इसी प्रकार बीते साल के मुकाबले तिलहन का उत्पादन 29 फीसद बढ़कर 3.25 करोड़ टन पर पहुंच गया।