जीएसटी नेटवर्क में आने वाले खामियों से जूझ रहे कारोबारी

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नेटवर्क प्रणाली में कुछ व्यावहारिक समस्यायें आ रहीं हैं जिनका समाधान होना जरूरी है।

नयी दिल्ली। देश में अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र की नई प्रणाली माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू हुये एक पखवाड़ा बीत चुका है लेकिन कारोबारी जीएसटी नेटवर्क में आने वाले खामियों से जूझ रहे हैं।

अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को नेटवर्क में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं को दूर करने के लिये बड़े पैमाने पर सुविधा केन्द्रों की शुरुआत करनी होगी जहां उद्यमी और कारोबारियों को होने वाली समस्या का समाधान हो सके।

जीएसटी प्रणाली को चलाने वाले जीएसटी नेटवर्क यानी जीएसटीएन में पंजीकरण कराने, पंजीकरण में किसी तरह की गलती को सुधारने, पहले किये गये पंजीकरण को रद्द कराने, अस्थायी पंजीकरण को स्थायी बनाने और पहले सेवाकर में पंजीकरण प्राप्त कारोबारियों को जीएसटी में स्थानांतरण करने में आ रही दिक्कतों सहित कई तरह की समस्यायें हैं जो कारोबारियों के समक्ष इस नई व्यवस्था में आ रही हैं।

पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडी की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने कहा, ‘‘यह अच्छी बात है कि जीएसटी लागू होने में जैसी परेशानियों की आशंका थी उतनी नहीं है लेकिन नेटवर्क प्रणाली में कुछ व्यावहारिक समस्यायें आ रहीं हैं जिनका समाधान होना जरूरी है।

हेल्प डेस्क बनाये गये हैं लेकिन उनसे भी नेटवर्क की समस्यायें दूर करने में काफी समय लग रहा है। नेटवर्क में आपने यदि पहली बार में कुछ गलत भर दिया है तो उसे ठीक करने में समस्या आ रही है। नेटवर्क ‘संशोधन’ नहीं कर रहा है। इसमें प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।

’’ शेयर बाजार में निवेश संबंधी हर तरह की जानकारी उपलब्ध कराने वाले विशेष पोर्टल  के संस्थापक और सीईओ कौशलेन्द्र सिहं सेंगर ने LEN-DEN NEWS से बातचीत में कहा, ‘‘ सेवाओं के क्षेत्र में नया पंजीकरण लेना है तो पांच-सात दिन में मिल रहा है, वास्तविक दिक्कत पुराने सेवाकर पंजीकरण को जीएसटी में स्थानांतरित कराने में आ रही है। पास-वर्ड इसमें रिसेट नहीं हो पा रहा है। नया करने में दिक्कत है।’’