ज्यादा होशियार बनेंगे तो संकट में आएंगे, व्यापारियों से बोले जेटली

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ईमानदारी से जीएसटी भरने वालों को कोई दिक्कत नहीं होगी। 

नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी अपनाने में आनाकानी कर रहे व्यापारियों और उद्यमियों से दो टूक कहा है कि ज्यादा होशियार बनेंगे तो संकट में आएंगे। जबकि ईमानदारी से जीएसटी भरने वालों को कोई दिक्कत नहीं होगी। वित्त मंत्री ने जीएसटी को लेकर व्यापारियों की दिक्कतें भी सुनीं। लुधियाना के उद्योग प्रतिनिधियों ने कई सुझाव दिये।

यहां एक कार्यक्रम में हिस्से लेने आये जेटली ने कहा कि व्यापारियों को कभी जीएसटी के कार्यालय में नहीं बुलाया जाएगा। व्यापारियों को ऑनलाइन रिटर्न भरना होगा और ऑनलाइन ही असेसमेंट करवाना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जीएसटी की प्रणाली ही ऐसी है कि ज्यादा होशियार बनने वाले खुद-ब- खुद संकट में आ जाएंगे।

पंजाब के प्रमुख कारपोरेट घरानों के साथ लंच के दौरान जेटली ने चर्चा की। वित्तमंत्री ने हर पहलू को गंभीरता से सुना और उन्हें पूरी डिटेल की प्रजेंटेशन देने के लिए कहा। इस दौरान प्लाईवुड, स्टील, साइकिल और शॉल इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने जीएसटी को लेकर बात की।

कई उद्यमियों ने जीएसटी के स्लैब का मुद्दा उठाया तो कई ने निर्यात में संभावित दिक्कतों की बात की। प्रमुख उद्योगपति एस. पी. ओसवाल ने जीएसटी में यार्न की विभिन्न कैटागरी पर टैक्स लगाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कॉटन और मैनमेड में भारी अंतर है। इससे धागा मिलों में असमंजस की स्थिति है।

सरकार को इसे आसान करके एकल टैक्स प्रणाली अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार में मैनमेड धागों का अधिक इस्तेमाल होता है। इस पर टैक्स ज्यादा है। इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। एवन साइकिल के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर ओंकार सिंह पाहवा ने एक्सपोर्ट के लिए ड्यूटी ड्रॉ बैक बढ़ाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि जीएसटी के दायरे में आने के बाद अगर एक्सपोर्ट में ड्यूटी ड्रॉ बैक नहीं बढ़ाया गया तो हम बुरी तरह से पिछड़ जाएंगे। उद्योगपति अशोक जुनेजा ने प्लाईवुड पर जीएसटी की दर 28 फीसद से घटाकर 18 फीसद करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह कृषि आधारित उत्पाद है। इस पर इतना टैक्स लगने से इंडस्ट्री नहीं चल पाएगी।

शॉल इंडस्ट्री ने आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की। अगर इसी तरह आयात बढ़ता रहा तो घरेलू शॉल उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। इस दौरान वित्त मंत्री ने उद्योगपतियों से बात करके जल्दी ही विस्तृत प्रजेंटेशन देने को कहा ताकि समस्याएं दूर की जा सकें। उन्होंने कहा किअगर इसमें कुछ खामियां रह गई हैं तो हम पुनर्विचार कर सकते हैं।