जून में रेकॉर्ड लो पर खुदरा महंगाई, इंडस्ट्री ग्रोथ में आई गिरावट

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नई दिल्ली। तेल और फूड आइटम की कीमतें गिरने से जून रिटेल महंगाई में कमी आई है जिससे कन्ज्यूमर इन्फ्लेशन (उपभोक्ता मुद्रास्फीति) अब तक के सबसे निचले स्तर 1.54 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

सरकार द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में खुदरा महंगाई 2.18 प्रतिशत थी जो जून में कम होकर 1.54 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जानकारों को मानना है कि खुदरा महंगाई दर कम होने से रिजर्व बैंक पर ब्याज दर कम करने का दबाव बनेगा।

जून में खुदरा महंगाई 2012 के बाद से सबसे निचले स्तर पर थी साथ ही यह आरबीआई के 4 प्रतिशत के मीडियम-टर्म टारगेट से भी लगातार आठवें महीने भी कम थी। जानकारों के मुताबिक महंगाई में कमी की वजह बेस इफेक्ट रहा है। जून में महंगाई का आंकड़ा आरबीआई के अनुमान से भी कम है।

आरबीआई ने अप्रैल-सितंबर के लिए 2 से 3.5 प्रतिशत तय की थी।महीने दर महीने आधार पर जून में शहरी इलाकों की महंगाई दर 2.13 प्रतिशत से घटकर 1.41 प्रतिशत रही है। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो महंगाई दर 2.3 प्रतिशत से घटकर 1.59 प्रतिशत रही है।

खाद्य महंगाई दर 1.05 प्रतिशत के मुकाबले 1.17 प्रतिशत रही। सब्जियों की महंगाई दर 13.44 प्रतिशत के मुकाबले 16.53 और फलों की महंगाई दर 1.4 प्रतिशत से बढ़कर 1.98 प्रतिशत रही है।

भले ही मंहगाई दर के आंकड़े राहते देने वाले हों लेकिन इंडस्ट्री की ग्रोथ को झटका लगा है। आईआईपी ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई है। मई में आईआईपी ग्रोथ घटकर 1.7 फीसदी तक पहुंच गई है।

मई में 1.7 फीसदी की आईआईपी ग्रोथ नवंबर 2016 के बाद से सबसे निचले स्तरों पर आ गई है। वहीं, अप्रैल में आईआईपी ग्रोथ 2.8 फीसदी रही थी। अप्रैल में आईआईपी ग्रोथ 3.1 फीसदी से संशोधित कर 2.8 फीसदी की गई है।