थर्ड पार्टी प्रीमियम में होगी सिर्फ 27 फीसद बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। वाहन स्वामियों को थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस प्रीमियम की दर में राहत मिल सकती है। बीमा नियामक इरडा प्रीमियम बढ़ोतरी को कम करके 27 फीसद करने पर राजी हो गया है। इस पर ट्रांसपोर्टर भी राजी हो गये हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रीमियम के मसले पर ट्रक एसोसिएशनों ने हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है।

इरडा ने बीमा कंपनियों को पहली अप्रैल, 2017 से थर्ड पार्टी प्रीमियम (टीपीपी) में 41 फीसद तक की बढ़ोतरी की इजाजत दे दी है। इससे ट्रांसपोर्टर बेहद नाराज हैं। दक्षिण भारत के कुछ ट्रांसपोर्ट संगठनों तथा ट्रकों के संगठन अकोगोवा ने इसे लेकर पहली अप्रैल से कुछ राज्यों में चक्का जाम कर रखा था।

जबकि अखिल भारतीय संगठन आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइएमटीसी) तथा अटवा ने पहले 20 अप्रैल और फिर आठ अप्रैल से हड़ताल का प्रस्ताव किया था।

ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ गुड्स व्हीकल ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चन्ना रेड्डी ने हैदराबाद से फोन पर बताया कि इरडा से शनिवार को हमारी बैठक हुई। उन्होंने प्रीमियम वृद्धि घटाकर 27 फीसद तक कर दी है। इसके बाद हड़ताल खत्म करने का फैसला किया गया। जल्दी ही दक्षिणी राज्यों में हालात सामान्य हो जाएंगे।

ट्रांसपोर्टरों के रुख को देखते हुए इरडा ने 27 मार्च को हैदराबाद में ट्रांसपोर्टरों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। इसमें इरडा ने प्रीमियम को जायज ठहराते हुए संबंधित रिकॉर्ड देखने के लिए 15 दिन का समय दिया था।

इरडा का कहना था कि जब तक रिकॉर्ड की जांच नहीं हो जाती तब तक ट्रांसपोर्टरों को हड़ताल स्थगित कर देनी चाहिए। लेकिन ट्रांसपोर्टरों का कहना था कि जब तक उनकी पड़ताल पूरी नहीं हो जाती तब तक प्रीमियम बढ़ोतरी को ही स्थगित रखा जाए। इरडा के इस पर राजी न होने पर वार्ता विफल हो गई थी।

इसके बाद ट्रांसपोर्टर प्रतिनिधियों ने दिल्ली में वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार से मुलाकात कर मामले में दखल देने का अनुरोध किया। अगले दिन उन्होंने सड़क मंत्रालय के अफसरों के साथ भी बैठक की। सरकार के दखल के बाद इरडा ने ट्रांसपोर्टरों को पुनः हैदराबाद बुलाकर वार्ता की।

इस दौरान इरडा ने प्रीमियम बढ़ोतरी को 27 प्रतिशत पर सीमित करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन जीएसटी, कैरिज बाय रोड एक्ट और टीडीएस समेत अन्य मांगों को लेकर एआइएमटीसी की 20 अप्रैल से प्रस्तावित हड़ताल को लेकर संशय बरकरार है।

इस पूरे प्रकरण से यह बात स्पष्ट है कि सरकार ट्रांसपोर्टरों के बीच मतभेद पैदा करने में कामयाब रही है। टीपीपी को लेकर सरकार का नजरिया स्पष्ट था। वह हर हाल में थर्ड पार्टी मोटर बीमा मुआवजे की राशि को पांच लाख रुपये पर सीमित करने पर आमादा थी।

जिसका प्रावधान मोटर वाहन संशोधन विधेयक, 2016 में किया गया है और जिसे शुक्रवार को ही लोकसभा में पेश किया गया है और जिसके शीघ्र पारित होने की संभावना है। मुआवजे की रकम कम होने के कारण ही इरडा के लिए टीपीपी प्रीमियम में कमी करना आसान हो गया है।

यह अलग बात है कि बीमा कंपनियों के वास्तविक खर्च को देखते हुए 27 फीसद की प्रस्तावित दर भी बहुत अधिक है और इसमें और कमी हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।