नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में 55 % का इजाफा

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नई दिल्ली। डिजिटल पेमेंट में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 55 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। आने वाले वर्षों में भी इस ट्रेंड के बने रहने की उम्मीद है। यह संकेत देता है कि भारत इस क्षेत्र में क्रांति की ओर है। नीति आयोग के प्रमुख सलाहकार रतन पी वातल ने सोमवार को ये बातें कहीं।

बीते साल नवंबर में सरकार ने 500 और 1000 की पुरानी नोटों को बंद करने का फैसला किया था।डिजिटल भुगतान में 2015-16 की तुलना में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का यही प्रमुख कारण है। वातल ने बताया कि 2011-12 से 2015-16 के दौरान डिजिटल भुगतान की सालाना बढ़ोतरी दर 28 फीसद रही है।

यहां उद्योग संगठन फिक्की की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वातल बोले कि ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत डिजिटल क्रांति की दहलीज पर है। डिजिटल भुगतान पर समिति की अगुआई कर चुके पूर्व वित्त सचिव वातल ने कहा कि डिजिटल भुगतान की टेक्नोलॉजी में इनोवेशन व उपभोक्ताओं की बढ़ती संतुष्टि के मद्देनजर डिजिटल पेमेंट में वृद्धि का रुख सकारात्मक बना रहेगा।

डिजिटल पेमेंट में यह बढ़ोतरी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि सरकार ने मार्च, 2018 तक 25 अरब लेनदेन का लक्ष्य रखा है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने हाल में एक लेख में कहा था कि नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में आई तेजी अस्थायी थी क्योंकि नकदी की उपलब्धता नहीं थी। नकदी उपलब्ध होने के साथ डिजिटल पेमेंट की रफ्तार घट गई।

उन्होंने इसके पक्ष में आरबीआइ के आंकड़े भी दिए थे। इस लेख का जिक्र करते हुए वातल ने कहा कि चिदंबरम का विश्लेषण आरबीआइ के कुछ चुनिंदा आंकड़ों पर आधारित था। यह सही तस्वीर को नहीं दर्शाता है।डिजिटल पेमेंट फीस पर नीति जल्द वातल ने यह भी बताया कि सरकार जल्द ही डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीकों के लिए चार्ज की जा रही फीस पर एक पॉलिसी लाएगी।

नीति आयोग ने सरकार को डिजिटल भुगतान के रुझानों और चुनौतियों पर एक रिसर्च रिपोर्ट जमा की है।इस रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल लेनदेन को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक डिजिटल भुगतान पर शुल्क हैं। आरटीजीएस, एनईएफटी और डेबिट कार्ड के जरिये डिजिटल भुगतान पर अलग-अलग शुल्क हैं।