तंबाकू और आइसक्रीम निर्माता कंपोजीशन स्कीम में नहीं

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नई दिल्ली । आइसक्रीम, पान मसाला और तंबाकू निर्माता जीएसटी के तहत कंपोजीशन स्कीम (एकमुश्त कर योजना) का विकल्प नहीं चुन सकते हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में इसे स्पष्ट कर दिया गया है। इस योजना के तहत उन कंपनियों को कम कर देने की अनुमति दी गई है, जिनका कारोबार 75 लाख रुपये की सीमा के भीतर है।

अधिसूचना के मुताबिक कानून के तहत आइसक्रीम या अन्य खाने योग्य आइस (चाहे कोकोआ वाली हो या नहीं) के मैन्यूफैक्चरर कंपोजीशन लेवी का विकल्प चुनने के लिए पात्र नहीं होंगे। इसी तरह तंबाकू और इसके विकल्प बनाने वालों को भी कंपोजीशन स्कीम को चुनने की सुविधा नहीं मिलेगी। जिन कंपनियों का एक वित्त वर्ष में टर्नओवर 75 लाख से कम है, वे सरलीकृत एकमुश्त कर योजना का विकल्प चुन सकती हैं।

वैसे, बीस लाख रुपये तक के टर्नओवर वालों को जीएसटी से छूट दी गई है। पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी के राज्यों के मामले में यह सीमा 10 लाख रुपये है।ये है कंपोजीशन स्कीमकंपोजीशन स्कीम यानी एकमुश्त शुल्क योजना के तहत 75 लाख लाख रुपये तक के कारोबार वाले मैन्यूफैक्चर्स को कुल टर्नओवर का एक फीसद जीएसटी के रूप में देना होगा।

व्यापारियों को 2.5 प्रतिशत और अन्य सप्लायरों के मामले में कारोबार का 0.5 फीसद शुल्क देना होगा। हालांकि इस स्कीम का लाभ लेने के लिए पूर्व उत्तर के आठ राज्यों और हिमाचल प्रदेश के लिए कारोबार की सीमा 50 लाख रुपये है।जीएसटी को लेकर सरकार का जागरुकता अभियान जोरों परजीएसटी को लागू करने से पहले केंद्र और राज्य सरकारें इस नई कर प्रणाली के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया के जरिये धुआंधार अभियान चला रही हैं।

केंद्र सरकार की ओर से प्रमुख अखबारों में पूरे पेज के विज्ञापन जारी किए गए हैं। इनमें उद्योग जगत और व्यापारियों की ओर से जीएसटी का पालन करने के लिए अपनाई जाने वाली तमाम विधियों और प्रक्रियाओं को विस्तार से बताया गया है। इसी तरह केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का एक सेट पूरे पेज के विज्ञापन के रूप में जारी किया है। इसमें व्यापारियों और कारोबारियों के आम सवालों का जवाब दिया गया है।

उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने के लिए सीबीईसी ने इस माह की शुरुआत से ही अभियान चला रखा है। इसमें तस्वीरों के जरिये विभिन्न आइटमों पर लगने वाली दरों की भी जानकारी दी गई है।एसईजेड से घरेलू बाजार में बिक्री पर लगेगा आईजीएसटीसीबीईसी के अनुसार विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) स्थित यूनिटों की ओर से घरेलू बाजार में की जाने वाली बिक्री पर पहली जुलाई से आइजीएसटी (एकीकृत जीएसटी) लागू होगा।

निर्यात के लिए आइजीएसटी का रिफंड शिपिंग बिल में डाले गए जीएसटिन (जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर) के आधार पर होगा। एसईजेड को व्यापार संचालन और शुल्कों के लिहाज से विदेशी क्षेत्र माना जाता है। इनकी स्थापना विदेशी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई है। फिलहाल एसईजेड की किसी यूनिट से घरेलू बाजार में बिक्री पर आयात शुल्क लगता है। इसकी वजह यह है कि इन विशेष आर्थिक क्षेत्रों से बाहर आने वाले उत्पादों को आयात माना जाता है।