कर्ज में फंसी कंपनियों में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिये नियमों में छूट

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मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों की कर्ज में फंसी कंपनियों के बैंकों द्वारा अधिग्रहण के लिये नियमों को आज आसान बनाया। इसमें उनके लिये शेयरधारकों के लिये खुली पेशकश से छूट दी गयी है।यह छूट कुछ शर्तों पर निर्भर है जिसमें विशेष प्रस्ताव के जरिये हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिये शेयरधारकों की मंजूरी शामिल है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)  का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब सरकार तथा रिजर्व बैंक फंसे कर्ज की समस्या से निपटने का प्रयास कर रहे हैं जो 6 लाख करोड़ रुपये से उुपर पहुंच गया है। निदेशक मंडल की बैठक में सेबी ने कर्ज में फंसी सूचीबद्ध कंपनियों के पुनर्गठन के साथ-साथ दिवाला एवं णि शोधन अक्षमता संहिता के तहत मंजूर निपटान योजना के लिये नियमों को आसान बनाने का फैसला किया।

सेबी ने कहा कि इस पहल का मकसद संकट में फंसी सूचीबद्ध कंपनियों को पटरी पर लाने के रास्ते को सुगम बनाया है।इससे शेयरधारक तथा कर्जदाता दोनों लाभान्वित होंगे।फिलहाल रणनीति ण पुनर्गर्ठन :एसडीआर: योजना के तहत कर्ज में फंसी सूचीबद्ध कंपनियों के पुनर्गठन के लिये बैंकों के पास खुली पेशकश तथा तरजीही निर्गम जरूरतों से छूट उपलब्ध है।

सेबी के पास ये बातें आयी थी कि जिन बैंकों ने शेयरों का अधिग्रहण किया है और उसे नये निवेशकों को बेचने में कठिनाइयां आती है क्योंकि इसके लिये उन्हें खुली पेशकश करनी होती है। इस प्रकार की पेशकश से संबंधित कंपनी में निवेश के लिये कोष की उपलब्धता कम होता है।इन चिंताओं को देखते हुए सेबी ने उन नये निवेशकों के लिये यह छूट देने का फैसला किया है जो संकट में फंसी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदते हैं।