अच्छी याददाश्त चाहिए तो कम खाइए मीठा

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नई दिल्ली। चमकदार त्वचा, अच्छी याददाश्त और गहरी नींद चाहिए तो मीठा कम खाइए। मोती जैसे सफेद दांत पसंद करते हैं तो भी मीठे में कटौती करनी पड़ेगी। विशेषज्ञों की मानें तो अच्छी सेहत के लिए मीठे से परहेज करना जरूरी है।
1. अच्छी त्वचा के लिए परहेज करें
अमेरिकी जर्नल क्नीनिकल न्यूट्रीशन के मुताबिक, सुबह उठकर आईना देखने की बहुत से लोगों की आदत होती है। लेकिन जब उन्हें आईने में अपने चेहरे पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखते हैं तो वे परेशान हो जाते हैं। दरअसल ये निशान शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र के बैक्टीरिया से लड़ने की वजह से पड़ते हैं। ज्यादा मीठा खाने की वजह से ही ये समस्याएं होती हैं। स्विट्जरलैंड में हुए अध्ययन में देखा गया कि ज्यादा मीठा पेय दिन में एक बार तीन हफ्ते तक पीने से शरीर में सूजन का स्तर दोगु बढ़ गया।
2. गहरी नींद के लिए मीठे पर नियंत्रण रखें
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन के मुताबिक, खाने में शक्कर लेने से रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त में शर्करा का स्तर घटता है तो ज्यादा शक्कर लेने की जरूरत पड़ती है। कभी ज्यादा और कभी कम शक्कर खाने के बाद शरीर का चक्र बिगड़ जाता है। इससे नींद में बाधा पहुंचती है। शर्करा की रोजाना नियंत्रित मात्रा लेने से ऐसी समस्या नहीं होती है और नींद भी गहरी आती है।
3. याद्दाश्त क्षमता बढ़ेगी
ज्यादा मीठा खाने से सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। यूसीएलए में पशुओं पर हुए एक अध्ययन के अनुसार, ज्यादा शक्कर इंसुलिन के प्रतिरोध को रोकता है। इससे मस्तिष्क के उस हिस्से को काफी क्षति पहुंचती है जो एक से दूसरी कोशिका के बीच संवाद स्थापित करता है और संदेशों को एकत्र करता है।
4. डायबिटीज से बचे रहेंगे
एक अमेरिकी अध्ययन में 175 देशों के लोगों का विश्लेषण किया गया। इसमें पता चला कि जो लोग खाने में अतिरिक्त शर्करा ले रहे थे, उन्हें अपने जीवनकाल में 11 गुना अधिक टाइप 2डायबिटीज का खतरा था। लेकिन अतिरिक्त वसा और कैलोरी से किसी अन्य बीमारी की संभावना नहीं पाई गई। इसलिए, डायबिटीज से बचने के लिए कम मीठा खाना जरूरी है।
5. स्वस्थ रहेगा दिल
लंदन के विशेषज्ञों की सलाह है कि दैनिक कैलोरी का सिर्फ पांच फीसदी ही मीठा खाइए। ओपन हार्ट जर्नल के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग दैनिक कैलोरी का 10 से 25 फीसदी मीठा खाते हैं, उनके हृदय रोग से मरने का जोखिम 30 फीसदी तक अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने चीनी की फ्रक्टोज़ शुगर और अंगों के चारों ओर एकत्र होने वाली वसा के बीच संबंध पाया है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।