होटल में रुकना महंगा, प्राइवेट लॉटरी पर लगेगा 28% टैक्स

1271

जीएसटी काउंसिल की 17वीं बैठक में कुछ अहम बिलों को मंजूरी 

नई दिल्ली । जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) काउंसिल की रविवार को हुई 17वीं बैठक में मुनाफाखोरी को रोकने के लिए एंटी प्रॉफिटियरिंग समेत कई अहम नियमों को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि ई-वे बिल के तैयार न होने के कारण इस पर फैसला नहीं हो पाया है। वहीं जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 30 जून को होगी।  इससे पहले हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कुछ वस्तुओं पर कर की दरों में संशोधन किया गया था।

5 नियमों को दी गई मंजूरी: जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में 5 प्रमुख नियमों को मंजूरी दी गई है। इनमें एडवांस रूलिंग, अपील एंड रिवीजन, एसेसमेंट, एंटी प्रॉफिटियरिंग और फंड सेटलमेंट प्रमुख रहे।

लॉटरी पर तय की गईं टैक्स रेट: जीएसटी काउंसिल ने सरकारी और प्राइवेट लॉटरी पर टैक्स की अलग अलग दरें तय की हैं। स्टेट रन यानी सरकारी लॉटरी पर 18 फीसद और सरकार की ओर से अधिकृत प्राइवेट लॉटरी पर 28 फीसद की दर से टैक्स लगेगा।

अब सितंबर से हर महीने दाखिल करना होगा रिटर्न: जीएसटी काउंसिल ने रिटर्न दाखिल करने वालों को थोड़ी राहत दी है। जीएसटी की तैयारियों को लेकर समय मांगने वालों को हर महीने रिटर्न दाखिल करने के लिए शुरुआत के दो महीनों में छूट देने का फैसला किया गया है। यानी अब सितंबर से हर महीने रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होगा।

ई-वे बिल पर नहीं बनी बात: जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल की तैयारियों को देखते हुए इस पर कोई फैसला नहीं किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि ई-वे बिल पर अभी तैयारियां पूरी नहीं है इसमें अभी 4 से 5 महीने का वक्त लगेगा।

महंगे होटल रुम पर ऊंची दर से टैक्स:जीएसटी काउंसिल ने महंगे होटल में ऊंची दर से टैक्स लगाने का फैसला किया है। यानी 7,500 रुपए से ज्यादा किराए वाले होटलों में 28 फीसद टैक्स लगेगा। वहीं 2,500 रुपए से लेकर 7,500 रुपए किराए वाले होटलों में 15 फीसद की दर से टैक्स लगाया जाएगा।वहीं इसी बीच उद्योग संगठन एसोचैम ने होमवर्क पूरा न होने का हवाला देते हुए इसे टालने का अनुरोध किया है।

एसोचैम ने क्या कहा: एसोचैम ने वित्त मंत्री को पत्र लिखकर जीएसटी के क्रियान्वयन को टालने का अनुरोध किया है। अपने पत्र में एसोचैम ने लिखा है कि आईटी नेटवर्क के तैयार न होने की वजह से करदाताओं को जीएसटी से जुड़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उद्योग संगठन के मुताबिक देश में मौजूदा कर व्यवस्था से जुड़े बहुत से लोग अभी तक आईटी टूल्स और पंजीकरण प्रक्रिया से अनजान होने की वजह से जीएसटी नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए हैं।