‘समान अवसर’ देने के लिए UGC-NET का नियम बदला

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नई दिल्ली। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने नैशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) पास करने के मानक में बदलाव करने का फैसला किया है ताकि रिजर्व्ड कैटेगरीज के सामने जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स को ‘समान अवसर’ मुहैया कराया जा सके। अधिकारियों ने Len-den News को बताया कि यह निर्णय यूजीसी की बुधवार को हुई बैठक में किया गया था।

NET का आयोजन यूजीसी की ओर से सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन कराता है। उच्चतर शिक्षा क्षेत्र में शिक्षक बनने के लिए यह परीक्षा पास करना जरूरी होता है। यूजीसी ने तय किया है कि NET में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स के टॉप 6% हिस्से को ही असिस्टेंट प्रोफेसर की एंट्री लेवल पोजिशन के लिए योग्य घोषित किया जाएगा और उसके बाद इस 6% में आरक्षण नीति लागू की जाएगी।

क्या बदलाव हुआ?
यूजीसी के मौजूदा नियमों के अनुसार, चारों आरक्षित श्रेणियों में से हर एक की मेरिट लिस्ट के टॉप 15% कैंडिडेट्स को पास घोषित घोषित किया जाता है, लेकिन इसमें आरक्षित वर्गों के कैंडिडेट्स के लिए मिनिमम मार्क्स का लेवल कम रखा जाता है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक, सभी तीनों पेपर्स में मिले अंकों के आधार पर मिनिमम मार्क्स से ऊपर अंक पाने वाले कैंडिडेट्स की मेरिट लिस्ट विषयवार और आरक्षित वर्गों (अन्य पिछड़ा वर्ग, डिसएबल्ड पर्संस, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) के अनुसार बनाई जाती है। फिर हर कैटेगरी के टॉप 15% कैंडिडेट्स को NET क्वॉलिफाइड घोषित किया जाता है।

बदलाव क्यों?
केरल हाई कोर्ट ने नायर सर्विस सोसायटी की रिट पिटीशन पर जनवरी 2017 में एक आदेश दिया था, जिसमें आरक्षित वर्गों के लिए न्यूनतम अंक की शर्त में रियायत देने के UGC-NET एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को असंवैधानिक बताकर खारिज कर दिया गया था क्योंकि इसे जनरल कैंडिडेट्स के खिलाफ माना गया। इसे देखते हुए यूजीसी ने नया निर्णय किया।

यह निर्णय जल्द सीबीएसई को भी बता दिया जाएगा। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि रिजर्व्ड कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए कम मिनिमम मार्क्स होने से इन वर्गों के अभ्यर्थी जनरल कैंडिडेट्स के मुकाबले ज्यादा संख्या में मिनिमम मार्क्स की शर्त पूरी करते हैं और क्वॉलिफाई कर जाते हैं।

डेटा ट्रेंड्स को खंगाला 

हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद यूजीसी ने एक कमिटी बनाई, जिसने NET के पिछले 20 वर्षों के डेटा ट्रेंड्स को खंगाला और फिर नए फॉर्म्युले का सुझाव दिया। कमिटी ने कहा है कि विभिन्न श्रेणियों के औसतन 5.5-5.6% कैंडिडेट्स यह परीक्षा पास करते रहे हैं। इसे देखते हुए उसने सिफारिश की थी कि 6% से ज्यादा कैंडिडेट्स को पास घोषित न किया जाए।

अगर सभी पेपर्स देने वाले 40 हजार कैंडिडेट्स ने कुल 40% या इससे ज्यादा अंक हासिल किए तो नए फॉर्म्युले के अनुसार, सभी को जनरल यानी अनारक्षित कैटिगरी का माना जाएगा, भले ही उनकी असल कैटिगरी जो भी हो। इनमें से मान लें कि अगर अंग्रेजी विषय में 2000 लोगों को कुल 40% या ज्यादार अंक मिले हों तो उन सभी को अनारक्षित माना जाएगा।