नई दिल्ली। जीएसटी के वन नेशन-वन टैक्स के सिद्धांत को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बड़े पैमाने पर अपना सकता है, जिससे असेसमेंट के मामले में जूरिस्डिक्शन का टंटा ही खत्म हो जाएगा। यानी, मुंबई के किसी टैक्सपेयर का असेसमेंट पटना स्थित कोई इनकम टैक्स ऑफिसर कर सकेगा। यह भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम होगा क्योंकि नागरिकों और टैक्स अधिकारियों के आमने-सामने मिलने की जरूरत बेहद कम रह जाएगी। साथ ही, इससे प्रक्रिया में भी तेज आएगी।
एक न्यायिक क्षेत्र बनेगा पूरा देश
इस कदम से वॉर्ड्स और सर्कल्स के रूप में तमाम भौगोलिक वर्गीकरणों का महत्व भी नहीं रहेगा और पूरा देश एक जूरिस्डिक्शन में आ जाएगा। हालांकि इसके लिए इनकम टैक्स लॉ में एक बदलाव करना होगा। एक सीनियर अधिकारी ने LEN-DEN NEWS को बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी की एक हाई लेवल इंटरनल रिपोर्ट में यह कदम उठाने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पर विचार किया जा रहा है। सरकार इस प्रोसेस को अगले वित्त वर्ष में लागू करने पर विचार कर सकती है।
ई-फाइलिंग से खुला रास्ता
इस महत्वपूर्ण टैक्स सुधार पर ध्यान रिटर्न्स की ई-फाइलिंग की बढ़ी रफ्तार के कारण आया। ऐसी ई-फाइलिंग में जूरिस्डिक्शन की बाधा नहीं है और फाइल किए गए रिटर्न बेंगलुरु में सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर के पास जाते हैं। पिछले फाइनैंशल इयर में फरवरी तक 4.21 करोड़ से ज्यादा टैक्स रिटर्न्स ऑनलाइन फाइल किए गए थे। तब तक 4.3 करोड़ ई-रिटर्न्स की प्रोसेसिंग हो चुकी थी। इसमें पिछले वर्षों का कुछ बैकलॉग भी था।
टैक्सपेयर को नहीं करना होगा अधिकारियों का सामना
अधिकारी ने बताया कि ई-प्रोसेसिंग की दिशा में इस कदम के साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लिमिटेड स्क्रूटिनी वाले सभी मामलों के लिए ई-स्क्रूटिनी का विकल्प चुन सकता है। ऐसे मामलों में असेसी सवालों के घेरे में आए ट्रांजैक्शंस पर अपना स्पष्टीकरण ईमेल से दे सकता है। जूरिस्डिक्शन का मसला नहीं होने पर भौगोलिक स्थिति का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स के लिए पूरी तरह फेसलेस हो जाएगा। रिटर्न का कोई भी रिव्यू या स्क्रूटिनी देश में कहीं भी इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस के जरिए हो सकेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि करदाता पर अधिकारियों से आमने-सामने संपर्क करने का दबाव न रहे। अधिकारी ने कहा, ‘टैक्सपेयर के अपने असेसिंग ऑफिसर के साथ किसी भी फिजिकल इंटरफेस की जरूरत नहीं रह जाएगी।’