कर्ज संकट से जूझ रही रिलायंस कम्युनिकेशंस के खातों की जांच!

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कंपनी के शेयर में गिरावट से बैंकर चिंतित ,फॉरेंसिक ऑडिट का बन सकता है दबाव

मुंबई। कर्ज संकट से जूझ रही रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। भारतीय बैंक कंपनी के कर्ज पुनर्गठन प्रस्ताव पर विचार करने से पहले दूरसंचार कंपनी के खातों की स्वतंत्र फॉरेंसिक जांच का दबाव डालने की योजना बना रहे हैं।

एक वरिष्ठ बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘कंपनी की वित्तीय स्थिति की सही तस्वीर का पता लगाने के लिए हम उसके खातों की फॉरेंसिक ऑडिट करा सकते हैं।’ आरकॉम के शेयरों में लगातार आ रही गिरावट के बीच बैंकरों की अगले हफ्ते कंपनी के साथ बैठक होगी, जिसमें इसके कर्ज चुकाने की क्षमता और कर्ज भुगतान की योजना का आकलन किया जाएगा।

बैंकर ने कहा कि मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली जियो के आने से दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है। उन्होंने कहा, ‘जियो के आने से आरकॉम के राजस्व पर भी असर पड़ा है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए तकनीकी-आर्थिक अध्ययन कर यह देखना जरूरी हो गया है कि आरकॉम कर्ज चुकाने में सक्षम होगी या नहीं।’

 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि अनिल अंबानी समूह की कंपनी पर इस साल मार्च तक 45,733 करोड़ रुपये का कर्ज था और उसके कर्ज का व्यापक पुनर्गठन करने की जरूरत होगी। इसलिए व्यवहार्यता के आकलन के लिए उसके वित्तीय प्रदर्शन का मूल्यांकन की प्रक्रिया अपनानी होगी।

पिछले हफ्ते 1,283 करोड़ रुपये का घाटा दिखाने के बाद लगभग सभी रेटिंग एजेंसियों ने कंपनी की रेटिंग घटा दी है। रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक मार्च 2017 तक कंपनी के पास 1,400 करोड़ रुपये की नकदी और समतुल्य रकम थी, जो अल्पावधि के 10,900 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने के लिए अपर्याप्त थी।

फिच ने भी आज आरकॉम के कर्ज की रेटिंग घटा दी और कहा कि ऋण भुगतान में किसी तरह की चूक वास्तविकता हो सकती है। इससे पहले मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस, इक्रा और केयर ने भी इसकी रेटिंग घटा दी थी। इससे पहले कंपनी अपने वायरलेस टेलीफोनी कारोबार को अलग किया था, जिसे भारत में एयरसेल के कारोबार के साथ विलय किया जाएगा।

कंपनी ने कनाडा की ब्रूकफील्ड को 11,000 करोड़ रुपये में दूरसंचार टावरों को बेचने की योजना की भी घोषणा की है। अगर दोनों सौदा होता है तो कंपनी का कर्ज करीब 25,000 करोड़ रुपये तक घट सकता है। लेकिन अभी सौदे को लेकर स्पष्टता नहीं है क्योंकि एयरसेल के विदेशी प्रवर्तक का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

सरकारी बैंक भी कंपनी के मामले में फूंक कर कदम रख रहे हैं और स्वतंत्र फॉरेंसिक ऑडिट की मांग कर रहे हैं। वास्तव में बैंक नहीं चाहते कि बाद में उन्हें किसी निर्णय के लिए जिम्मेदारा ठहराया जाए। इस साल के शुरू में किंगफिशर एयरलाइंस के चूक करने के मामले में आईडीबीआई बैंक के अधिकारियों के फंसने के बाद भारतीय बैंक सतर्क हो गए हैं।

आरकॉम में संकट की शुरुआत तब हो गई जब 10 बैंकों ने कंपनी के खाते को विशेष निगरानी खाते में डाल दिया। गैर-निष्पादित परिसंपत्ति घोषित करने से पहले यह कदम उठाया जाता है। तमाम आशंका और अनिश्चितताओं के बीच कंपनी निवेशकों का विश्वास बरकरार रखने के लिए कदम उठा रही है।

माना जा रहा है कि  कंपनी के चेयरमैन अनिल अंबानी शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में नजर आ सकते हैं। कंपनी ने पहले कहा था कि यह कर्ज चुकाने के लिए मुंबई के निकट 130 एकड़ परिसर और नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर अगले एक से दो साल में बेचेगी।