सोयाबीन के गिरते दाम से किसान परेशान, 2700 रुपये से नीचे वायदा

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मुंबई। मॉनसून की तेज रफ्तार के साथ कृषि जिंसों के दाम भी लुढ़क रहे हैं। सोयाबीन की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी जा रही है। सोयाबीन के दाम पिछले पांच साल के निम्नतम स्तर पर पहुंच गए। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर खरीद किए जाने से नाराज किसान अब सोयाबीन की खेती को ही बंद करने की बात कर रहे हैं। वायदा बाजार में तो सोयाबीन 2,700 रुपये के नीचे पहुंच गई। 
 
एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन की कीमत गिरकर 2,696 रुपये पर आ गई। हाजिर बाजार में सोयाबीन 2,700 रुपये में खरीदी जा रही है। सबसे बड़ी सोयाबीन मंडी इंदौर में सोयाबीन की खरीद 2,700 रुपये पर हुई तो किसान और कारोबारियों के बीच कल झड़प भी हो गई जिसके कारण आज इंदौर मंडी बंद रही।

किसानों का कहना है कि एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन का हाजिर भाव 2,860 रुपये दिखाया जा रहा है और सरकार ने एमएसपी 2,775 रुपये प्रति क्ंिवटल तय किया है लेकिन कारोबारी आपसी सांठगांठ करके कीमतें गिराते हैं और सरकार द्वारा तय की गई कीमत से कम पर माल खरीदते हैं। 

मंडी में मिलने वाली कीमत और व्यवस्था से परेशान किसान इस बार सोयाबीन की फसल छोडऩे की बात कर रहे हैं। सोयाबीन कारोबारी नरेश जैन कहते हैं कि किसानों को उचित कीमत मिलनी चाहिए, वर्ष 2016-16 के लिए केंद्र सरकार की तरफ से सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,775 रुपये प्रति क्ंिवटल तय किया गया है लेकिन म ज्यादातर मंडियों में सोयाबीन 2,700 रुपये के नीचे बिक रहा है। 
 
किसानों का सोयाबीन की फसल से मोहभंग हुआ तो वे दूसरी फसल की बुआई करेंगे जिसका नुकसान सोयाबीन उद्योग को होगा। इसीलिए इस मामले में सरकार को ध्यान देना चाहिए। ऐंजल कमोडिटीज के रितेश साहू के मुताबिक सोयाबीन की बुआई शुरू हो चुकी है। पिछले खरीफ सीजन के दौरान देश में सोयाबीन फसल का रकबा बढ़कर 23,000 हेक्टेयर हुआ था।

उससे पिछले साल देश में 20,000 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी। सोयाबीन का उत्पादन सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में होता है, ऐसे में किसानों की नाराजगी बुआई पर असर डाल सकती है। इस साल देश में सोयाबीन की कीमतों में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट हुई है। जुलाई 2012 में सोयाबीन की कीमत 5,000 रुपये के करीब बोली जा रही थी जो अब तक का सबसे ऊंचा भाव है।

जिसके बाद किसानों का सोयाबीन की तरफ आकर्षण बढ़ा लेकिन अब एमएसपी से भी कम दर पर खरीदारी की जाएगी तो किसान दोबारा दूसरी फसलों की तरफ जा सकते हैं जो उद्योग के लिए सही नहीं होगा। सोयाबीन की कीमतों में गिरावट की वजह देश में बंपर उत्पादन को माना जा रहा है। अधिक उत्पादन के साथ ही पिछले साल का स्टॉक भी बचा हुआ है जिससे मांग कमजोर बनी हुई है।

जबकि मंडियों में आपूर्ति अधिक हो रही है। सोयाबीन उद्योग की मानी जाए तो 2016-17 के दौरान देश मेंं सोयाबीन का उत्पादन करीब 115 लाख टन हुआ है। इसकेसाथ ही चार लाख टन सोयाबीन पिछले साल के स्टॉक के तौर पर बाजार में जमा था। इस तरह इस साल देश में सोयाबीन का स्टॉक कुल 119 लाख टन हो गया है।