जीएसटी लागू होने से पहले ही हाहाकार , हर कोई चाहता है टैक्स कम देना

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नई दिल्ली।जीएसटी लागू होने से पहले ही हाहाकार मचना शुरू हो गया है। हर कोई टैक्स कम देना चाहता है। यह तो विरोध करने वाले उद्योग और व्यापार जगत के लोग हैं।आम उपभोक्ता जिसकी जेब से टैक्स वसूला जायेगा, वह तो खामोश है। कभी वह यह नहीं कहता 18 की जगह 5 फीसदी ही टैक्स ले लो।

जीएसटी की दरों को लेकर सरकार को सैकड़ों ज्ञापन और अनुरोध पत्र मिल रहे हैं। इनमें बड़ी कंपनियों से लेकर दूसरे औद्योगिक संगठन शामिल हैं। अभी जीएसटी परिषद को 7 वस्तुओं की दरें तय करनी हैं। इनमें सोना, कपड़े, हस्तशिल्प उत्पाद, जूते चप्पल, बीड़ी और खेती में इस्तेमाल खाद, बीज आदि शामिल हैं। इसके लिए इसी सप्ताह बैठक होनी है। सोने पर 5 फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव किया जा रहा है। 
 
दरों में कमी की मांग करने वालों में हिंदुस्तान यूनिलीवर भी शामिल है जो सर्फ एक्सेल, रिन, विम और व्हील जैसे घरेलू उपभोग के सामान बनाती है। कंपनी ने डिटर्जेंट पर कम दर लगाने की जोरदार पैरवी करते हुए कहा है कि इसका इस्तेमाल टॉयलेट आदि की सफाई के लिए किया जाता है।

कंपनी का तर्क है कि उसके उत्पाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा देते हैं। इसी आधार पर कंपनी ने अनुरोध किया है कि डिटर्जेंट को 28 फीसदी की ऊंची कर श्रेणी से निकाला जाए क्योंकि इतना ज्यादा कर स्वच्छ भारत की भावना के खिलाफ है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि एचयूएल चाहती है कि अगर कम दर संभव न हो तो इसे 18 फीसदी की कर श्रेणी में रखा जाए। 
 
इस बीच बिस्कुट निर्माता पारले जी ने भी बिस्कुटों पर कम दर की मांग की है और कहा है कि इन्हें कर के निचले स्तर पर रखा जाना चाहिए। कंपनी की दलील है कि बिस्कुट न केवल गरीब खाते हैं बल्कि आंगनवाडिय़ों में भी इनका वितरण होता है। केंद्र सरकार 100 रुपये प्रति किलो से अधिक महंगे बिस्कुटों पर 18 फीसदी के जीएसटी का प्रस्ताव कर रही है।

जबकि 100 रुपये किलो से कम कीमत वाले बिस्कुटों पर यह 12 फीसदी होगा। इस समय 100 रुपये किलो से कम के बिस्कुटों पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगता है। अलबत्ता विभिन्न राज्य बिस्कुटों पर 4.5 से 14.5 फीसदी के बीच मूल्य वर्धित कर लगाते हैं।  केंद्र सरकार सोने पर 5 फीसदी कर का प्रस्ताव ला सकती है।

उसका मानना है कि सोना आम उपभोग की वस्तु नहीं है और इस बहुमूल्य धातु के लिए कम या विशेष दर की कोई तुक नहीं है। इस समय सोने पर 8 फीसदी का उत्पाद शुल्क लगता है। केरल को छोड़कर बाकी राज्यों में 2 फीसदी मूल्य वर्धित कर लगता है। केरल में इसकी सीमा 5 फीसदी है। केरल सोने पर 5 फीसदी जीएसटी के लिए जोर दे रहा है। 
 
जीएसटी के तहत हस्तशिल्प उत्पादों का भी कर छूट का दर्जा छिन सकता है। केंद्र इनको कर दायरे में शामिल करने का प्रयास कर रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर जैसे बड़े हस्तशिल्प उद्योग वाले राज्यों को झटका लग सकता है। जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने हस्तशिल्प सामान को जीएसटी से छूट दिए जाने की पैरवी की है।