जीएसटी : चम्मच हुआ थाली से दूर, एक ही तरह के आइटमों पर अलग-अलग रेट

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नई दिल्ली। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की दरों को खंगालने में जुटी ट्रेड-इंडस्ट्री को अब इसकी बारीकियां खटकने लगी हैं। एक ही मटीरियल से बनी और एक जैसे इस्तेमाल वाली चीजों पर अलग-अलग टैक्स दरों को लेकर शिकायतें बढ़ रही हैं। स्टील से बनी थाली पर जहां 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, वहीं चम्मच, कांटा और दूसरे कटलरी आइटमों पर रेट 18 प्रतिशत होगा। इसी तरह बिल्डिंग मिटीरियल, स्टेशनरी और रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली कई चीजों पर भी रेट में अंतर का विरोध हो रहा है।

स्टेनलेस स्टील से बने कई आइटमों को अलग एचएसएन कोड और स्लैब दिए जाने से नाराज दिल्ली बर्तन निर्माता संघ के प्रेजिडेंट सतीश कहते हैं, ‘स्टील के बरतन और कटलरी आइटमों पर एक्साइज, कस्टम ड्यूटी और वैट दरों में भी कोई अंतर नहीं है। दोनों ही तरह के सामान साथ बिकते हैं और कई बार पैकेज के रूप में भी वितरित होते हैं। ऐसे में इन पर 12 और 18 प्रतिशत रेट से पूरी इंडस्ट्री चेन प्रभावित होगी। हमने वित्त मंत्री को भी इस बारे में लिखा है।’

चावड़ी बाजार में बिल्डिंग मटीरियल कारोबारी बताते हैं, ‘लोहे की खिड़की, दरवाजे, चौखट, शटर पर मामूली बदलावों के चलते 12 और 18 के दो रेट सामने आ रहे हैं, जबकि फ्लोरिंग, किचन फिटिंग और बाथ फिटिंग से जुड़े उपकरणों पर यह रेंज 12 से 28 फीसदी तक जाती है। रेट में अंतर से व्यापार घाटे के अलावा कंप्लायंस कॉस्ट भी एक बड़ी चिंता होगी।’

वह बताते हैं कि सेरामिक टेबलवेयर, किचनवेयर, टॉइलट आर्टिकल्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि कुछ सेरामिक फ्लोरिंग ब्लॉक और टाइल्स पर 28 प्रतिशत रेट होगा। इसी मार्केट में स्टेशनरी के होलसेल ट्रेड में भी रेट अंतर पर सवाल उठ रहे हैं। स्लेट पेंसिल, चॉक स्टिक कर मुक्त हैं, लेकिन आम पेंसिल, क्रेऑन, पेस्टल पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। कागज की किस्म और इस्तेमाल के आधार पर टैक्स रेट में भी काफी अंतर है।

डेयरी प्रॉडक्ट्स के बाजार में भी अलग-अलग रेट की चिंता ट्रेडर्स को खाए जा रही है। फ्रेश मिल्क को टैक्स फ्री रखा गया है, लेकिन घी और मक्खन पर 12 प्रतिशत जीएसटी होगा। बेबी फीड मिल्ड या शुगर ऐडेड मिल्क पर 5 प्रतिशत जीएसटी तय किया गया है। ब्रेल क्लॉक, टेबल क्लॉक, कलाई घड़ी और स्टॉप वॉच में रेट का अंतर 12 से 28 प्रतिशत तक का है। इसी महीने जीएसटी काउंसिल ने 211 वस्तुओं और 36 सेवाओं को चार टैक्स स्लैब में डाला था।