गर लिख दिया उसने, तो उसे मिटाने वाला कौन…….

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शायर तरुमीत सिंह बेदी से LEN-DEN NEWS की विशेष बातचीत 

“गर लिख दिया उसने, तो उसे मिटाने  वाला कौन
तारीख गवाह है इस दुनिया में आज तक सिकंदर कौन “

आइये हम आपको मिलाते हैं ऐसे ही शख्स से, जो अभी  तक शायरी पर तीन किताबें लिख चुके हैं, यह शख्स कोटा ही नहीं बल्कि देश भर में शायर के रूप में अपनी पहचान बना चुके तरुमीत सिंह बेदी हैं । हालांकि वह पहचान के मोहताज नहीं हैं, वह खुद शायरी की दुनिया के ऐसे हस्ताक्षर हैं, जिनकी शायरी सुनने वाले के दिल को छू जाती है। शायरी की  पहली किताब उन्होंने वर्ष 2011 में “यादें “लिखी, यह किताब उन्होंने अपने पिता श्री जगदीश सिंह बेदी को समर्पित की।
उनकी दूसरी किताब “तस्सवुर” वर्ष 2013 में आई। यह किताब टाइम्स प्रकाशन ने छापी थी, जो अमेजॉन, फिल्पकार्ट, बुकअड्डा एवं क्रॉस वर्ल्ड आदि पर ऑनलाइन सेल हो रही है। उनकी तीसरी किताब पगडण्डी भी बाजार में आ चुकी है। इसे भी शायरी के शौकीनों ने हाथों हाथ लिया। तो आइये सुनते हैं उन्हीं की कहानी,उन्हीं की जुबानी जो  LEN-DEN NEWS के साथ  शेयर की

बेदी जी आप बिज़नेस मेन से शायर कैसे बने
 वर्ष 2009 में जब मेरा एक्सीडेंट हुआ, वह एक्सीडेंट इतना खतरनाक था, मगर उस समय मित्रो, शुभचिंतको की दुआ से आज आप सबके बीच हूँ। वह समय मेरी लाइफ का एक टर्निंग प्वाइंट था। वहीँ से पिता को याद करते हुए यादें लिखने का ख्याल आया। किताब लिखने के बाद प्रकाशक नहीं मिले तो खुद ही अपने दम पर किताब प्रकाशित कर दी। इसके बाद आज तक मुड़कर नहीं देखा। शायरी लिखने का सिलसिला जारी है

“अपने आप को बच्चे की तरह जिन्दा रखता हूँ
बढ़ा हो गया तो जिंदादिली निकल जाएगी “
इस शेर के साथ वह कुछ पल के लिए यादों में खो जाते हैं , फिर बोलते हैं …… “तस्सवुर” लिखने से पहले मुझे अमिताभ बच्चन की फिल्म का सीन याद आया। यह फिल्म मैंने अपने पिता के साथ देखी थी, जिसमें अमिताभ एक शेर कहते हैं कि –आँखें मूंद के बैठे हो “तस्सवुर” में किसी की , ऐसे में कोई छम से आ जाये तो क्या हो।

यह मेरा बहुत ही पसंदीदा शेर है। जब मैंने यह किताब लिखी तो मौका आया,  किताब का नाम बताने का… तभी दिल से आवाज आई “तस्सवुर” रख दे। यह किताब टाइम्स ग्रुप ने प्रकाशित की, जो बाद में ऑल इण्डिया रिलीज हुई। यह किताब रॉयल्टी में चल रही है। जो शायरी में बहुत कम देखा जाता है।

लोगों के पास शायरी समझने का वक्त नहीं, फिर भी आपकी तीन किताबे बाजार में छा गई
बेदी ने शायराना अंदाज में फिर अपनी बात यूँ बयां की–“जहां जज्बे, मोहब्बत, वफ़ाएं आबाद हों , वहां गुलिस्तां अपने आप खिलते हैं।” 
इस शेर के बाद बेदी इतने भावुक हो गए और बोले वैसे तो मैं इस काबिल नहीं कि मेरी किताब लोगों के दिल की आवाज का तराना बनकर इस जहाँ में गूंजे, लोगो की मोहब्बत है जिसने  मुझे इस मुकाम तक पहुंचा दिया। 

उन्होंने बताया कि इसके बाद मेरे जीवन में एक अद्भुत घटना घटी। वर्ष 2015 में सेंट पॉल स्कूल के प्रिंसीपल फादर क्लेरेंस एंथनी जो सात साल फादर भी और आठ साल पूर्व प्रिंसीपल रहे उनसे मुलाकात हो गई। स्कूल के गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन में उन्होंने इच्छा जाहिर की कि एक किताब उनके साथ संयुक्त रूप से लिखी जाये , जिसमें पवित्र बाइबिल के सन्देश की  हिंदी में व्याख्या कर कविता में लिखने का सुझाव दिया।

यह मेरे लिए बहुत काठी रास्ता था , क्योंकि पवित्र संदेशों को शायरी में ढालना आसान काम नहीं था। हालांकि किताब लिखी गई जो “पगडंडिया”के नाम से बाजार में आई। इस किताब को लिखने के बाद मैंने खुद अपना प्रकाशन हाउस शुरू कर दिया। यह जानकर मुझे ख़ुशी है कि इसकी ४००० प्रतिया तुरंत बिक गई। पगडंडियां मेरे फादर एवं प्रिंसीपल की निशानी है।

बेदी ने अपने संदेश में कहा है कि
“किसी भी कार्य को वजह से नहीं जज्बे और वफ़ा से करें
तो मंजिल मिलनी मुश्किल नहीं। “

बेदी का परिचय

  • अध्यक्ष कोटा पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
  • चेयरमैन ऑर्गेनाइजेशन कमेटी फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स
  • महासचिव उम्मीद क्लब कोटा
  • अध्यक्ष कोटा सिख प्रतिनिधि सोसायटी
  • अध्यक्ष सेंट पॉल ओल्ड बॉयज एसोसिएशन
  • सक्रिय सदस्य हार्टवाइज