माल्या की यूबी इंजीनियरिंग बिकने के कगार पर

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नई दिल्ली। विजय माल्या की यूबी इंजीनियरिंग बिकने के कगार पर है। यूबी इंजीनियरिंग ऐसा पहला मामला है, जो वित्तीय पुनर्गठन के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में दायर किया गया है। हालांकि दिवालिएपन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन इसके लिए दी गई 180 दिन की मोहलत पूरी होने वाली है।

आईडीबीआई और ऐक्सिस बैंक समेत ऋणदाताओं की एक समिति ने कुछ दिन पहले तक अंतिम समाधान पेशेवर को मंजूरी नहीं दी थी। इस मामले में याचिका 19 जनवरी को दायर हुई थी, जिसे जुलाई में 6 माह हो जाएंगे। , ‘बैंक कंपनी द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर को लेकर खुश नहीं थे।’

हालांकि समिति को एक महीने के भीतर नए पेशेवर के बारे में फैसला लेना था, लेकिन यह नियुक्ति एनसीएलटी में कंपनी का मामला पहुंचने के चार महीने बाद हुई थी। कंपनी के पास दिवालियेपन कोड के तहत वित्तीय पुनर्गठन का काम पूरा करने के लिए जुलाई तक का समय है। यह प्रक्रिया इसलिए शुरू नहीं हो सकी क्योंकि कोई पूर्णकालिक पेशेवर उपलब्ध नहीं था।

कंपनी को एक विज्ञापन जारी करना होगा, जिसमें खुद की बिक्री के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे। लेकिन बिक्री न होने पर उसे या तो खुद को पुनर्गठित करना होगा या बिकना पड़ेगा। कंपनी पर बैंकों का करीब 450 करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी ने ऋण के पुनर्गठन की उम्मीद में दिवालियेपन की याचिका दायर की थी।समूह की दो अन्य कंपनियां- गुप्ता कोल इंडिया और गुप्ता एनर्जी को भी दिवालियेपन की प्रक्रिया में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

क्योंकि बैंकों ने कारोबार चलाने के लिए पूंजी जुटाने को मंजूरी नहीं दी।‘बैंकों ने कंपनी की इस योजना का विरोध किया था कि उसका मूल्यांकन तय करने के लिए 20 लाख रुपये में आईडीबीआई की सहायक कंपनी को नियुक्त किया जाए। इस वजह से कंपनी का मूल्यांकन नहीं हो सका है और दिवालियेपन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।’ इस कदम का विरोध करने वाला एक ऋणदाता बैंक ऑफ इंडिया था। 

नागपुर स्थित गुप्ता कोल इंडिया ने एनसीएलटी में मार्च में दिवालियेपन के लिए याचिका दायर की थी। इसके मुताबिक उस पर 8 ऋणदाताओं की 2,580 करोड़ रुपये की देनदारी है। इन ऋणदाताओं में इलाहाबाद बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, आईडीबीआई बैंक, पीएनबी और बीओआई शामिल हैं।