जीएसटी लागू होने पर छपानी होगी नई बिल बुक

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कोटा। जीएसटी लागू होने पर सभी व्यापारियों को उनके जारी किए जाने वाले बिल के प्रारूप में अब बदलाव करना होगा। अपने बिल में नया जीएसटीआईएन नंबर बिल नंबर या बिल क्रमांक खरीदने वाले का नाम, पता और उसका जीएसटीआईएन नंबर देना जरूरी है। 

माल का एचएसएन कोड कर की दर अगर उसी राज्य में माल बेचा जा रहा हो तो सीजीएसटी और एसजीएसटी की कर की रकम और दूसरे राज्य में माल बेचा जा रहा हो तो आईजीएसटी कर की राशि अगर माल डिलीवरी, खरीदने वाले के पते से अलग हो तो ऐसी जगह का पूर्ण पता अगर टैक्स रिवर्स चार्ज बेसिस पर देना हो तो उसकी जानकारी माल विक्रय में दिए जा रहे डिस्काउंट की रकम ये सारी जानकारियां विक्रेता को अपने बिल में देना होगी जरूरी है

बिल के प्रारूपों में बदलाव की आवश्यकता
पहली वजह यह है कि जीएसटी डेस्टिनेशन आधारित कर है मतलब जिस राज्य में माल की खपत होगी टैक्स उसी राज्य का माना जाएगा। दूसरी वजह यह कि इनपुट टैक्स क्रेडिट, जीएसटी का मुख्य आधार है।

इसलिए माल खरीदने वाले को चुकाए गए टैक्स की छूट आसानी से मिल सके इसलिए खरीदी बिल में समस्त जानकारियां होना जरूरी है। इन परिस्थितियों में यह आवश्यक होगा कि आप बिल के प्रारूप में बदलाव करें।

आवश्यक जानकारियों का बिल में समावेश करें और नई बिल बुक बनवाएं। जो व्यापारी कंप्यूटर से बिल बनाते हैं वो भी प्रारूप में बदलाव करें। लेकिन जो व्यापारी कंपोजिशन स्कीम अपनाने वाले हों उन्हें अपने बिल के प्रारूप को बदलने की आवश्कता नहीं होगी क्यों उन्हें निश्चित रकम टैक्स के रूप में देना है।