अटल बिहारी वाजपेयी के इन कदमों ने बदल दिया भारत

770

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बेहद नाजुक है। दिल्ली के एम्स में भर्ती अटल को लाइफ सपॉर्ट पर रखा गया है। देशभर में प्रशंसक उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी लोकप्रिय राजनेता के साथ कुशल प्रशासक भी रहे। आर्थिक मोर्चे पर उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जिनसे देश की दशा और दिशा बदल गई।

वाजपेयी ने 1991 में नरसिम्हाराव सरकार के दौरान शुरू किए गए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया। जब 2004 में जब वाजपेयी ने मनमोहन सिंह को सत्ता सौंपी तब अर्थव्यवस्था की तस्वीर बेहद खूबसूरत थी। जीडीपी ग्रोथ रेट 8 फीसदी से अधिक था, महंगाई दर 4 फीसदी से नीचे थी और विदेशी मुद्रा भंडार लबालब था। आइए डालें उनके 5 बड़े कदमों पर एक नजर…

1. स्वर्णिम चतुर्भुज और ग्राम सड़क योजना
वाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में उनकी महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सबसे ऊपर रखा जाता है। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने चेन्नै, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाईवे नेटवर्क से कनेक्ट किया, जबकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए गांवों को पक्की सड़कों के जरिए शहरों से जोड़ा गया। ये योजनाएं सफल रहीं और देश के आर्थिक विकास में मदद मिली।

2. निजीकरण
अटल विहारी वाजपेयी ने बिजनस और इंडस्ट्री में सरकार की भूमिका कम की। इसके लिए उन्होंने अलग से विनिमेश मंत्रालय बनाया। सबसे महत्वपूर्ण फैसला भारत ऐल्युमिनियम कंपनी (BALCO) और हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और VSNL में विनिमेश का था। वाजपेयी के इन पहलों से भविष्य में सरकार की भूमिका तय हो गई।

3. राजकोषीय जवाबदेही
वाजपेयी सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए राजकोषीय जवाबदेही ऐक्ट बनाया। इससे सार्वजनिक क्षेत्र बचत में मजबूती आई और वित्त वर्ष 2000 में जीडीपी के -0.8 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2005 में 2.3 फीसदी तक पहुंच गई।

4. सर्व शिक्षा अभियान
सर्व शिक्षा अभियान को 2001 में लॉन्च किया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जानी थी। इस योजना के लॉन्च के 4 सालों के अंदर ही स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में 60 प्रतिशत की गिरवाट देखने को मिली थी।

5. टेलिकॉम क्रांति
वाजपेयी सरकार अपनी नई टेलिकॉम पॉलिसी के तहत टेलिकॉम फर्म्स के लिए एक तय लाइसेंस फीस हटाकर रेवन्यू शेयरिंग की व्यवस्था लेकर लाई थी। भारत संचार निगम का गठन भी पॉलिसी बनाने और सर्विस के प्रविश़न को अलग करने के लिए इस दौरान किया गया था। वाजपेयी की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेलिफोनी में विदेश संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर दिया था।