GST अच्छा लेकिन, छोटे और मझोले उद्योगों पर पड़ेगा भारी

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कोटा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अर्थव्यवस्था के लिए भारी उलटफेर करने वाला है। नई कर व्यवस्था में सरल टैक्स अनुपालन, टैक्स पर टैक्स की समाप्ति, अंतर्राज्यीय कारोबार में सहजता, कीमतों में कटौती और कर आधार में भारी वृद्धि की उम्मीद जताई गई है। इसके टेक्नोलॉजी संचालित होने के कारण ज्यादा पारदर्शिता आएगी।

इन्वॉयस मैचिंग से जीएसटी न केवल कर प्रणाली में एक बड़ा बदलाव साबित होगा, बल्कि इससे कारोबार करने के तरीके भी बेहतर होंगे। इसमें संभावनाओं के बावजूद नियम- कानूनों के मौजूदा प्रारूप में परेशानी खड़ी करने वाली बातें भी हैं। खासकर छोटे और मझोले उद्यम (एसएमई) इनके शिकार होंगे।

छोटे व्यवसायों पर कारोबार से बाहर कर दिए जाने का खतरा रहेगा। अभी इसमें सुधार की गुंजाइश है। वैसे, नियम-कानून समय के साथ बेहतर होंगे, फिर भी मूल कमियों को जल्द दूर करना होगा।इनमें सबसे बड़ी खामी आपूर्तिकर्ता द्वारा कर भुगतान को खरीदार को उपलब्ध इनपुट क्रेडिट के साथ न कि ‘वास्तविक इन्वॉयस मिलान’ (मैच्ड जेन्यूइन इन्वॉयस) के साथ लिंक करना है।

इस प्रावधान की जड़ें कारोबारियों द्वारा जाली बिलों के जरिये कर चोरी के इतिहास में और इस तथ्य में हैं कि सरकार के लिए इसका पता करके अंकुश लगाना संभव नहीं था।सरकार को लगता है जीएसटी लागू होने से गलत लोग बाजार से स्वतः बाहर हो जाएंगे। इसमें गलती यह है कि जीएसटी अमल में लाने के चरणबद्ध नतीजों और पैदा होने वाली दिक्कतों की अनदेखी की जा रही है।

हालांकि, अनुपालन बढ़ाने की जद्दोजहद कम होगी, लेकिन इसके कारण कारोबार बंद होने और ऐसी वसूली कम होने को पर्याप्त गंभीरता से नहीं लिया गया है। सरकार का तर्क यह भी है कि आजकल कुछ लोग गलत तरीके से इनपुट क्रेडिट लेने के लिए साठगांठ कर रहे हैं।इसलिए जोखिम को वापस नागरिकों पर डालना उचित ही है।

समस्या प्रत्यक्ष जोखिम के प्रबंधन की नहीं, कैश फ्लो के दुष्प्रभावों, गलत अकाउंटिंग और नए सप्लायरों व ग्राहकों के साथ लोगों की व्यापार क्षमता में गिरावट की है। वजह यह है कि कारोबारी रिटर्न को लेकर अनिश्चितता है।सामान्य व्यावसायिक स्थितियों में कोई लेनदेन तब पूरा होता है जब वस्तु/सेवा की सुपुर्दगी, इन्वॉयस की प्राप्ति व उनके बदले में भुगतान हो चुका होता है।

अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सप्लायर इन्वॉयस पर कर लगाने, संग्रह करने और प्रेषित करने के लिए सरकार के एजेंट की भूमिका निभाता है। वैट व्यवस्था में क्रेता को इन्वॉयस पर चुकता टैक्स की इनपुट क्रेडिट का लाभ मिलता है, जो आपूर्तिकर्ता को अदा किया गया है।गैर-मौजूद इन्वॉयस या मूल इन्वॉयस से मेल नहीं खाने वाली राशि से जुड़े जाली दावों को रोकने के लिए जीएसटी कानून में इन्वॉयस मैचिंग का प्रावधान है।

इससे जालसाजी खत्म हो जाएगी। ज्यादा से ज्यादा करदाताओं को टैक्स के दायरे में लाया जा सकेगा। हालांकि, भुगतान के अतिरिक्त लिंकेज ने इस व्यवस्था पर धब्बा लगाया है।कोई कारोबारी यह कैसे मान लेगा कि लेनदेन पूरा हो गया जैसा कि उसे रिटर्न साइकल (अगले माह की 30 तारीख) के बाद 10 दिनों तक इंतजार करना होगा।

तभी जाकर उसे पता चल पाएगा कि वह अपने चुकता टैक्स के लिए इनपुट क्रेडिट का हकदार है या नहीं। बाजार में कई तरह के व्यवहार होने लगेंगे।कुछ लोग अगले माह की 30 तारीख तक सप्लायर को भुगतान करने से मना कर देंगे। इससे कार्यशील पूंजी की आवश्यकता में असामान्य बढ़ोतरी होगी। कुछ लोग कर भुगतान करने से इन्कार करेंगे।

व्यापार लागत में वृद्धि होगी

नतीजतन बहुस्तरीय लेनदेन की स्थिति पैदा होगी। व्यापार लागत में वृद्धि होगी। ऐसे में कुछ लोगों से जोखिम से बचने के लिए बैंक गारंटी मांगी जाएगी। अधिकतर एसएमई के पास ऐसी मांग पूरी करने का आसान उपाय नहीं होगा।छोटे कारोबारियों के लिए इसके मायने छोटे व्यवसायों को आमतौर पर नगदी प्रवाह बराबर न रहने की वजह से दिक्कतों से जूझना पड़ता है।

बेचे गए माल के बदले पैसे मिलने में एक हफ्ते के विलंब से भी उनकी सारी योजना ध्वस्त हो जाती है। हालांकि व्यवसायी का कर के मामले में छल करने का इरादा नहीं होगा, तो भी इसके साथ समय पर अनुपालन पूरा करने की कठिनाई हमेशा बनी रहेगी।इस तरह की हर कठिनाई से इसके समक्ष खरीदारों को लेकर संकट पैदा होगा, जो अपना जोखिम कम करने के लिए सप्लायर बदल सकते हैं।

एक संबंधित प्रावधान यह है कि सरकार ‘अनुपालन मूल्यांकन’ सार्वजनिक करना चाहती है। इस तरह आपको खरीदारी के पहले पता रहेगा कि आपके सप्लायरों का मूल्यांकन ‘अच्छा या खराब’ है। उद्देश्य यह है कि चूंकि आपका इनपुट टैक्स आपूर्तिकर्ता की इस ‘गुणवत्ता’ पर निभर करता है। इसलिए आप खराब मूल्यांकन वालों से खरीदारी करने से बचेंगे।

यानी लोग खराब मूल्यांकन से बचने के लिए भी हरसंभव कोशिश करेंगे। मूल्यांकन सिर्फ आपके डाटा फीड करने में देरी से ही खराब नहीं होता है, बल्कि आपके अपने भुगतान में विलंब से भी होता है।संक्षेप में, इन प्रावधानों को एक साथ देखने पर पता चलता है कि एक छोटे व्यवसाय को जो कठिनाई झेलनी पड़ेगी, वह अब सार्वजनिक होगी।

छोटे कारोबारियों पर खतरा 

इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए आपके सामने जब कभी दिक्कत आएगी तो वह अगले महीने और बड़ी हो जाएगी है। वजह यह है कि आपका ग्राहक सावधानी बरतेगा और माल दूसरे से खरीदेगा।इससे समस्या बढ़ेगी। नतीजतन भुगतान में और देरी होगी। फिर मूल्यांकन और नीचे जाएगा। नतीजतन ज्यादा ग्राहक पल्ला झाड़ेंगे। इसके कारण धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से छोटे व्यवसाय अंततः बंद हो जाएंगे।

नकली बिल गायब हो जाएंगे

जीएसटी सुराग लगाने की असाधारण क्षमता प्रदान करती है। इन्वॉयस मैचिंग के चलते सारे नकली बिल गायब हो जाएंगे और गलत दावे भी।अलबत्ता, फर्जी कंपनियों की समस्या बनी रहेगी, लेकिन पैन, बैंक खाते से जुड़ने के कारण सुराग लगाने की क्षमता इतनी ज्यादा होगी कि लोगों के लिए जालसाजी करके बच पाना लगभग असंभव होगा।भुगतान को इनपुट टैक्स क्रेडिट से अलग करने और इसे इन्वॉयस अपलोड व मैचिंग से संबद्ध करने के संदर्भ में प्रस्तावित कानून में संशोधन होने से कानून में जान आएगी।