मुनाफाखोरी पर ई-कॉमर्स की जांच शुरू, फिल्पकार्ट का मामला उजागर

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत गठित मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (एनएए) ने ई-कॉमर्स कंपनियों के खातों की जांच के लिए अप्रत्यक्ष कर विभाग के प्रमुख को पत्र लिखा है। इससे पहले प्राधिकरण ने लेखा महानिदेशालय से फ्लिपकार्ट मामले के आधार पर ई-कॉमर्स फर्मों की जांच का अनुरोध किया था।

फ्लिपकार्ट का मामला मुनाफाखोरी से संबंधित है जिसमें कंपनी के प्लेटफॉर्म पर सामान के ऑर्डर और उसकी आपूर्ति के दौरान जीएसटी दर क्रमश: 28 फीसदी और 18 फीसदी दिख रहा था। बाद में फ्लिपकार्ट ने शिकायतकर्ता को कर में अंतर की रकम वापस कर दी थी।

इस शिकायत के आधार पर प्राधिकरण ने पाया कि फ्लिपकार्ट पर ही ऑर्डर करते समय और आपूर्ति के दौरान जीएसटी दर बदलने के 7,500 मामले देखे गए हैं यानी यह अधिक जीएसटी वसूलने का मामला है। मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण ने फ्लिपकार्ट को 7,500 मामलों में रिफंड देने के प्रमाणन जारी करने को कहा है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘फ्लिपकार्ट मामले के आधार पर लेखा महानिदेशालय द्वारा जांच करने से इनकार करने पर प्राधिकरण के चेयरमैन ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन को पूरे ई-कॉमर्स उद्योग की जांच करने को कहा है। कल्पना करें कि अगर एक कंपनी में 7,500 ऐसे मामले हैं, तो समूचे उद्योग में इस तरह के कितने मामले हो सकते हैं।’

लेखा महानिदेशालय ने ई-कॉमर्स उद्योग की जांच से यह कहते हुए इनकार किया था कि सीबीआईसी बोर्ड ने जांच करने के खिलाफ निर्देश दिया था। सीबीआईसी चेयरमैन एस रमेश को लिखे पत्र में प्राधिकरण के चेयरमैन बीएन शर्मा ने कहा कि एक ग्राहक के शिकायत से एक ही प्लेटफॉर्म पर ऐसे 7,500 मामलों का पता चला है।

ऐसे में अन्य प्लेटफॉर्मों पर भी इस तरह के हजारों मामले हो सकते हैं। शर्मा ने कहा, ‘सीबीआईसी को जांच करने का अधिकार है और उसे जीएसटी कानून के तहत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की विशेष जांच करनी चाहिए।’ जीएसटी परिषद ने 10 नवंबर को हुई बैठक में 200 से ज्यादा चीजों पर दरों में कटौती की थी।

इसके तहत 178 चीजों पर कर की दर को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया गया था। नई दरें 15 नवंबर से प्रभावी हैं। इसके बाद 31 जुलाई को हुई बैठक में फ्रिज, वॉशिंग मशीन, छोटी स्क्रीन वाले टेलीविजन, इत्र, सौंदर्य प्रसाधन जैसे करीब 100 चीजों पर जीएसटी दर में कटौती की थी।

फ्लिपकार्ट मामले में चेन्नई के याची ऋषि गुप्ता ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 11 नवंबर, 2017 को फ्लिपकार्ट पर गोदरेज का अलमीरा ऑर्डर किया था। इसके आधार पर 14,852 रुपये का टैक्स बिल गोदरेज ऐंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग की ओर से जारी किया गया।

आपूर्ति के समय 20 नवंबर को 14,152 रुपये का बिल मिला क्योंकि उत्पाद पर जीएसटी 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी हो गई थी। हालांकि उन्हें पहले के बिल के आधार पर ही भुगतान लिया गया और घटी दर का लाभ नहीं दिया गया। इसलिए उन्होंने रिफंड के लिए फ्लिपकार्ट के खिलाफ मुनाफाखोरी की शिकायत की थी। जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी-रोधी नियमों की जानकारी के लिए यह वीडियो देखिए-