रुपे कार्ड और भीम एप से भुगतान पर जीएसटी में मिलेगी छूट

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नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल ने रुपे कार्ड और भीम ऐप से भुगतान पर टैक्स में 20% छूट (अधिकतम 100 रुपए) के प्रस्ताव को शनिवार को मंजूरी दी। ये छूट कैशबैक के रूप में दी जाएगी। शुरुआत में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उन राज्यों में लागू किया जाएगा जो स्वेच्छा से ऐसा करना चाहेंगे।

यह बैठक खासतौर से छोटे और मझोले कारोबारियों (एमएसएमई) की दिक्कतों पर चर्चा के लिए रखी गई थी। एमएसएमई को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली, लेकिन इनके मुद्दों पर मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया गया। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता वाले इस समूह में दिल्ली, बिहार, केरल, पंजाब और असम के वित्त मंत्री शामिल होंगे। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी।

रुपे कार्ड, भीम ऐप से भुगतान पर कितना कैशबैक मिलेगा ?
भुगतान (रुपए)  टैक्स (12%)    कैशबैक (टैक्स का 20%)
1,000         120 रुपए            24 रुपए
2,000         240 रुपए           48 रुपए
3,000         360 रुपए           72 रुपए
4,000         480 रुपए           96 रुपए
-ये गणना 12% जीएसटी रेट पर की गई है। गुड्स एंड सर्विस टैक्स के चार स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% हैं। इनके मुताबिक टैक्स और कैशबैक राशि अलग-अलग हो सकती है।

देश में करीब 49 करोड़ रुपे कार्ड धारक : 2016-17 के मुकाबले 2017-18 में रुपे कार्ड के जरिए ट्रांजेक्शन में 135% बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2018 में 46 करोड़ लोगों ने पॉस मशीनों में रुपे कार्ड इस्तेमाल किया। 2016-17 में ये आंकड़ा 19.5 करोड़ रहा था। सरकार ने 30 दिसंबर 2016 को भीम ऐप लॉन्च किया था। एक जनवरी 2018 तक 2.26 करोड़ लोगों ने भीम ऐप डाउनलोड किया।

एमएसएमई की दिक्कतों पर जीओएम रिपोर्ट देगा :एमएसएमई सेक्टर से जुड़े कानूनी पहलुओं पर केंद्र सरकार की लॉ कमेटी और टैक्स संबंधी मामलों को फिटमेंट कमेटी देखेगी। जीओएम इन दोनों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार करेगा, जो जीएसटी काउंसिल के सामने रखी जाएगी। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 28-29 सितंबर को गोवा में होगी।

पिछली बैठक में हुए थे बड़े फैसले : 21 जुलाई की बैठक में जीएसटी काउंसिल ने करीब 100 वस्तुओं पर टैक्स कम किया था जो 27 जुलाई से लागू हो चुका है। सैनेटरी नैपकिन और मूर्तियों समेत कई वस्तुओं को टैक्स फ्री कर दिया था। सालाना पांच करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाले कारोबारियों को तिमाही रिटर्न की सुविधा दे दी गई। उसी बैठक में फैसला हुआ कि 4 अगस्त को सिर्फ छोटे और मध्यम कारोबारियों (एमएसएमई) की समस्याओं पर चर्चा के लिए मीटिंग होगी।