कोटा में आईएल की खाली जमीन पर बनेगा ऑक्सी जोन सेंटर

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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किया जाएगा काम, जॉगिंग ट्रैक के साथ योग सेंटर भी बनाया जाएगा

कोटा। लम्बे समय से केंद्र एवं राज्य सरकार की उपेक्षा से बंद पड़ी इंस्ट्रूमेंटेशन फैक्ट्री (आईएल) की खाली जमीन पर ऑक्सी-जोन सेंटर बनाया जाएगा। यहां पीकॉक सेंचुरी, वॉकिंग, जॉगिंग एवं साइकिल ट्रैक के साथ प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग सेंटर भी बनाए जाएंगे। यह फैसला मंगलवार को कलेक्टर एवं स्मार्ट सिटी लि. के सीईओ गौरव गोयल की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में लिया गया।

बैठक में तय किया गया कि आईएल की जमीन पर जनसुविधाएं विकसित कर इसे रायपुर की तर्ज पर ऑक्सी-जोन पार्क के रूप में तैयार किया जाएगा। आईएल के चारों तरफ घनी आबादी है और औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण वायु प्रदूषण भी होता है। बड़ी संख्या में हॉस्टल होने के कारण देशभर के विद्यार्थी यहां निवास करते हैं।

आईएल की खाली जमीन का सदुपयोग आमजन को सुविधाएं प्रदान कर इसे आक्सी जोन पार्क के रूप में तैयार किया जाए, जिसमें सघन पौधरोपण के साथ बायोडायवर्सिटी के संरक्षण के कार्य भी शामिल किए जाएं। बैठक में स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्यों पर भी चर्चा की गई। बैठक में एसके गर्ग, विधि शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, केएम शर्मा, संजय बाहेती उपस्थित रहे।

दो फेज में होगा विकास
आईएल के आवासीय परिसर को दो फेज में विभक्त कर जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। प्रथम फेज में 3 एकड़ में प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, मेडिटेशन एवं योगा सेंटर, रिहेबिटेशन सेंटर आदि जनसुविधाएं विकसित की जाएंगी। दूसरे फेज में 71 एकड़ में सघन पौधरोपण किया जाएगा। इसमें 10-10 मीटर चौड़ाई एवं 5.50 किमी लंबाई में जॉगिंग ट्रैक, पाथ-वे, एवं साइकिल ट्रैक बनाए जाएंगे। समीप ही साइकिल शेयरिंग सेन्टर भी होगा, जिसमें किराये पर साइकिल प्राप्त की जा सकेगी।

मोर सेंचुरी भी बनेगी
वर्तमान में राष्ट्रीय पक्षी मोर की बहुलता को देखते हुए इनके संरक्षण के कार्य भी हाथ में लिए जाएंगे। मोर के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए सघन पौधरोपण का कार्य किया जाकर उस क्षेत्र को मोर सेंचुरी के रूप में विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र में कच्चे पाथ-वे बनाए जाएंगे, जिसमें देशी-विदेशी पक्षियों को निहारा जा सकेगा।

आसपास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सघन 5 हजार पौधरोपण किया जाएगा, जिसमें पुराने पेड़ों को सहेजने के साथ पीपल, नीम, बरगद, खजूर,आम, बांस आंवला, जामुन, अशोक, महोगनी सहित स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाये जाएंगे। विभिन्न जोनों के आसपास खुशबूदार फूलों के पौधे लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
5 हजार पौधे रोपे जाएंगे

कृत्रिम जलस्रोत बनेगा
देशी-विदेशी पक्षियों के लिए प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कृत्रिम जलस्रोतों का निर्माण कराया जायेगा। जिसमें घना पक्षी विहार भरतपुर की तर्ज पर जगह-जगह कृत्रिम टापू बनाए जाएंगे, जिसमें पक्षियों को अपना नीड़ बनाने का वातावरण मिलेगा। पक्षियों को निहारने के लिए वर्ड वाचिंग पॉइंट एवं फोटोग्राफी पॉइंट भी बनाए जाएंगे।