मार्च 2019 से मोबाइल नंबर पोर्ट करवाना मुश्किल, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। अगले साल मार्च के बाद मोबाइल नंबर नहीं बदलकर भी टेलिकॉम कंपनी बदलना मुश्किल हो सकता है। इसे मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) कहते हैं। अभी तो यह सिस्टम अच्छी तरह काम कर रहा है, लेकिन देश में इस काम को करनेवाली दो कंपनियों- एमएनपी इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशंस और सिनिवर्स टेक्नॉलजीज ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट को लिखा है कि जनवरी के बाद पोर्टिंग फीसमें 80 पर्सेंट के करीब कटौती से उन्हें रोज घाटा हो रहा है।

इसलिए जब मार्च 2019 में उनके लाइसेंस की अवधि खत्म होगी, तब वे अपनी सेवाएं बंद कर देंगी। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है। अगर दोनों कंपनियां इस धमकी पर अमल करती हैं तो जो ग्राहक खराब कॉल क्वॉलिटी, बिलिंग संबंधी मसलों या टैरिफ की वजह से सर्विस प्रोवाइडर को बदलना चाहते हैं, उनके पास कम-से-कम शॉर्ट टर्म में तो इसके लिए कोई विकल्प नहीं बचेगा।

टेलिकॉम डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि अगर यह मसला तय समय में हल नहीं होता है तो वह रिप्लेसमेंट की कोशिश करेगा। हाल में मंथली एमएनपी रिक्वेस्ट की संख्या चार गुना बढ़ गई है। जियो की एंट्री, रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेलिसर्विसेज, एयरसेल और टेलिनॉर इंडिया के बाजार से निकलने के बीच भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर जैसी पुरानी टेलिकॉम कंपनियां ग्राहकों को बनाए रखने और नए कस्टमर्स को लुभाने के लिए टैरिफ में कटौती कर रही हैं।

वहीं, एमएनपी प्रोसेस को काफी आसान बनाया गया है और लोग एक सर्विस प्रोवाइडर से दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में काफी जल्द स्विच कर पा रहे हैं। एमएनपी इंटरकनेक्शन दक्षिण और पूर्वी भारत में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी कामकाज देखती है। उसने बताया कि वह लाइसेंस सरेंडर करके कामकाज बंद कर देगी।

वहीं, उत्तर और पश्चिमी भारत में यह काम देखनेवाली सिनिवर्स टेक ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट से कहा है कि एमएनपी चार्जेज में कटौती के ट्राई के आदेश के बाद वह जबरदस्त वित्तीय संकट का सामना कर रही है। इस साल मार्च तक दोनों कंपनियां 37 करोड़ पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट हैंडल कर चुकी थीं। पिछले महीने ही 2 करोड़ ऐसे ऐप्लिकेशन हैंडल किए थे।

दोनों कंपनियों ने एमएनपी चार्जेज में कटौती के ट्राई के फैसले को अदालत में चुनौती दी है। उनका कहना है कि फी में कटौती मनमाने और गैर-पारदर्शी तरीके से की गई है। इस मामले की सुनवाई अदालत में 4 जुलाई को होगी।

एमएनपी इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशंस के एक बड़े अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमने दूरसंचार विभाग को लिखा है कि टैरिफ में कटौती की वजह से हमारी कंपनी एमएनपी का कामकाज नहीं कर पाएगी। इस वजह से  बिजनस घाटे में चला गया है। डेली बेसिस पर लॉस हो रहा है और हम एंप्लॉयीज को सैलरी तक नहीं दे पा रहे हैं।’