सेबी की सख्ती से पी-नोट्स इन्वेस्टमेंट 9 साल के लो पर

753

नई दिल्ली। मई में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) से भारतीय कैपिटल मार्केट्स में इन्वेस्टमेंट लगभग 93,000 करोड़ रुपए के साथ 9 साल के लो पर आ गया। इसकी वजह इन इंस्ट्रुमेंट्स का दुरुपयोग रोकने के लिए सेबी द्वारा नॉर्म्स में की गई सख्ती को माना जा रहा है।

क्या है पी-नोट्स?
रजिस्टर्ड फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) द्वारा ऐसे ओवरसीज इन्वेस्टर्स को पी नोट्स जारी किए जाते हैं, जो सीधे रजिस्ट्रेशन कराए बिना भारतीय स्टॉक मार्केट्स में निवेश करना चाहते हैं। हालांकि इसके लिए एक उचित प्रक्रिया का पालन करना होता है।

विदेशी इन्वेस्टर्स को पी-नोट्स सेबी के पास रजिस्टर्ड फॉरेन ब्रोकरेज फर्म्स या डोमेस्टिक ब्रोकरेज फर्म्स की विदेशी यूनिट्स जारी करती हैं। ब्रोकर इंडियन सिक्योरिटीज (शेयर, डेट या डेरिवेटिव्स) में खरीदारी करते हैं और फीस लेकर उन पर क्लाइंट को पी-नोट्स इश्यू करते हैं।

मई 93,497 करोड़ रु रह गया पी-नोट्स इन्वेस्टमेंट
सेबी के डाटा के मुताबिक, मई के अंत तक भारतीय मार्केट्स- इक्विटी, डेट और डेरिवेटिव्स में पी-नोट्स इन्वेस्टमेंट घटकर 93,497 करोड़ रुपए रह गया, जबकि मार्च के अंत तक यह आंकड़ा 1,00,245 करोड़ रुपए था। इससे पहले यह आंकड़ा 1,06,403 करोड़ रुपए था।

इक्विटी मार्केट में पी-नोट्स से 70,442 करोड़ का निवेश
यह अप्रैल, 2009 के बाद का पी-नोट्स इन्वेस्टमेंट का सबसे निचला स्तर था, जब ऐसे इन्वेस्टमेंट की कुल वैल्यू 72,314 करोड़ रुपए रही थी। बीते महीने हुए कुल इन्वेस्टमेंट में इक्विटीज में पी-नोट की होल्डिंग 70,442 करोड़ रुपए रही और बाकी इन्वेस्टमेंट डेट व डेरिवेटिव मार्केट में हुआ था। इसके अलावा मई में पी-नोट्स के माध्यम से एफपीआई इन्वेस्टमेंट की मात्रा घटकर 2.9 फीसदी रह गई, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 3 फीसदी रहा था।

एक साल से जारी है गिरावट
पिछले साल जून से पी-नोट्स इन्वेस्टमेंट में गिरावट जारी है और सितंबर में यह गिरकर 8 साल के लो पर आ गया था। हालांकि, अक्टूबर में पी-नोट्स इन्वेस्टमेंट में हल्की बढ़ोतरी हुई थी लेकिन नवंबर में गिरा और इसके बाद मार्च अंत तक इसमें गिरावट रही।

सेबी ने सख्त किए थे नियम
 जुलाई 2017 में मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने शेयर बाजार में अवैध धन के फ्लो को रोकने के लिए हर इश्‍यू पर ब्रोकर्स को 65,000 रुपए रेग्युलेटरी फीस लगाई थी। पी नोट्स रजिस्टर्ड फॉरेन पोर्टफोलियो के द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो बिना रजिस्टर हुए भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं।

ऐसे में उन्हें कई कागजी कार्रवाईयों से छूट मिल जाती थी। हालांकि इस रूट के जरिए निवेश में कई तरह की गड़बड़ियों की आशंका के बाद सेबी ने पी नोट्स के जरिए निवेश के नियम सख्त कर दिए।