सरकार की सुस्त खरीद से लहसुन उत्पादक किसानों को घाटा

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कोटा। राजफेड और सरकार ने लहसुन की ऑनलाइन व स्पॉट बिक्री शुरू कर दी है। इसका सीधा असर मंडियों में बिकने वाले खुले लहसुन पर पड़ रहा है। अब किसानों का लहसुन खुले में 7 से 9 रुपए किलो में बिक रहा है। इसे पहले व्यापारी 14 से 18 रुपए किलो तक खरीद रहे थे। किसानों को आने वाले समय में किसानों को दाम और कम मिलेंगे। वहीं, अभी तक सरकारी खरीद में तेजी नहीं आ सकी है।

कोटा संभाग में 65 हजार किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, जबकि सरकारी खरीद 4700 किसानों की हुई है। 6 हजार किसानों को टोकन जारी हुए है। अभी भी 1500 किसान अपना माल बेचने का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा 59 हजार किसानों को सरकार को डेट देनी है।

कोटा संभाग में 70 लाख क्विंटल की पैदावार है और सरकार ने करीब 13 लाख क्विंटल की खरीद का लक्ष्य रखा था, लेकिन अभी तक 1 लाख 67 हजार क्विंटल ही खरीदी की है। सरकार ने 30 जून अंतिम तारीख दी है। खरीद केंद्रों पर लहसुन का जमावड़ा होने से सरकार ने ऑनलाइन व स्पॉट यानि खरीद केंद्र पर लहसुन बेचना शुरू किया। इसका असर किसानों पर पड़ रहा है।

ऑनलाइन में पहले 12 से 14 रुपए बिक रहा था। अब 9 रुपए किलो से कम हो गया है। इसी प्रकार स्पॉट बिक्री में भी 9 से 11 रुपए किलो ही लहसुन बिक रहा है। इसके चलते खुली मंडी में लहसुन के दाम लगातार गिर रहे हैं, क्योंकि खरीद केंद्र पर व्यापारियों को अच्छी क्वालिटी व साफ लहसुन मिल रहा है।

 हर किसान का लहसुन खरीदे :किसान नेता दशरथ कुमार ने बताया कि किसानों को लहसुन में काफी नुकसान होने लगा है। बाजार में दाम भी अब सही नहीं मिल पा रहे है। सरकार के पास खरीद केंद्र पर सभी व्यवस्थाएं हो गई हैं। अब सरकार मंडी में आने वाले हर किसान का लहसुन खरीदे।

नहीं तो किसानों की भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। समय रहते सरकार को सही व्यवस्थाएं करके हाड़ौती का पूरा लहसुन खरीदे। खरीद की स्पीड बढ़ाए तो किसानों को मंडी में भी अच्छे दाम मिलेंगे। इस स्पीड से तो 15 हजार किसान भी अपना माल नहीं बेच पाएंगे। अभी तक 10 फीसदी लहसुन भी नहीं खरीद गया है।

30 जून अंतिम तारीख –केंद्रों पर माल का उठाव होने लगा है। अब टोकन भी जारी किए जाएंगे। अभी 200 से 300 किसानों का लहसुन खरीदा जा रह था। अब यह 500 से 600 संख्या बढ़ जाएगी। सरकार ने 30 जून अंतिम तारीख दी है। जून अंत तक करीब 15000 किसानों से ज्यादा का लहसुन खरीद लिया जाएगा। –नरेश शुक्ला, क्षेत्रीय प्रबंधक, राजफेड