क्यों हो रही है इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी क्षेत्र में छंटनी

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मुंबई। हर साल की तरह इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहीं है जिनकी परफॉर्मेन्स उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है। हर साल निचले स्तर के आईटी पेशेवरों की नौकरियां जाती हैं लेकिन इस साल बड़े पदों पर बैठे आईटी पेशेवरों पर ये गाज गिर रही है।

भारत के आईटी उद्योग में इन दिनों छंटाई चल रही है जिसमें मध्य और उच्च स्तरीय प्रबंधकीय पदों पर तलवार चल रही है । इस साल वाइस प्रेसिडेंट, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के पदों पर बैठे दिग्गजों को भी पिंक स्लिप थमाई जा रही है।

अंडर परफॉर्मर पर नजर

कई बड़ी आईटी कंपनियों के अधिकारियों ने इस बारे में सिर्फ इतना ही कहा है कि ये हर साल होता है कि अंडर परफॉर्मर यानी जिसका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा, उन कर्मचारियों को हटाया जाता है। इनफोसिस के एचआर और फाइनेंस विभाग के पूर्व प्रमुख मोहनदास पाई ने बीबीसी से कहा, “कई बार उद्योगों में पता चलता है कि कई स्तरों पर अव्यवस्था हो गई है।

आईटी क्षेत्र में तेजी से बदलाव

150 अरब डॉलर का आईटी उद्योग इस समय में कई बदलावों के दौर से गुजर रहा है। दुनिया के कई देशों में भारतीय आईटी कंपनियां सेवाएं दे रही थीं लेकिन अब इनकी मांग में कमी देखी गई है। वो दिन चले गए जब आईटी उद्योग में 35 से 40 फीसदी की सालाना वृद्धि देखी जाती थी। इन दिनों आईटी उद्योग छह से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

आईटी उद्योग से जुड़े रहे अशुतोष वैद्य कहते हैं, “ऐसा नहीं है कि सिर्फ तकनीक अपग्रेड हुई है। पूरा ढांचा ही बदलता रहा है। भारतीय रेलवे को ही ले लीजिए। रेलवे के कंप्यूटरीकरण में कई साल लग गए। पहले आपको टिकट खरीदने के लिए रेलवे स्टेशन जाना पड़ता था जहां पर आपको उनके कंप्यूटर से टिकट मिलता था। आज आप एक एप पर ये काम कर सकते हैं।”

वैद्य आगे कहते हैं, ”दरअसल बड़े प्रॉजेक्ट जो पहले 15 से 20 महीनों में खत्म होते थे वो अब तीन महीने में ही खत्म हो रहे हैं। इसलिए इनके लिए जरूरी कौशल में बड़ा बदलाव आया है। ये बदलाव सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि टेस्टिंग, इवैल्यूएशन और प्रॉजेक्ट मैनेजमेन्ट के क्षेत्र में भी आए हैं। इसलिए कुछ खास पदों पर बैठे लोगों को अपने आपको इसके हिसाब से ढालना होगा या बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा।”