कैसे पहुंचें आईआईटी तक, राह दिखाएगी स्ट्रेटे-जेईई पुस्तक

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आईआईटीयन सारांश गुप्ता ने स्टूडेंट्स के 5 हजार सवालों के समाधान के आधार पर तैयार की 125 पेज की पुस्तक

कोटा । इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भविष्य बनाने वाले हर विद्यार्थी का सपना होता है आईआईटी में पढ़ाई करना। विद्यार्थी के साथ-साथ उसके अभिभावकों की अपेक्षाएं भी इससे जुड़ी होती हैं। विद्यार्थी मेहनत करता है और अभिभावक उसके लिए हर संभव सुविधाएं जुटाते हैं।

कई बार तमाम प्रयासों के बावजूद विद्यार्थी वो मुकाम हासिल नहीं हो पाता, जिसके लिए मेहनत की जाती है। बाद में समझ आता है कि छोटी-छोटी सावधानियां बरती जाती तो शायद सपने पूरे हो गए होते। क्या है ये छोटी-छोटी बातें, कैसे पढ़ें, कैसे तैयारी करें इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की।

इन सभी बातों के जवाब एक आईआईटीयन स्टूडेंट और कोचिंग टीचर से बेहतर शायद कोई नहीं दे सकता। यदि विद्यार्थी खुद कोचिंग करके आईआईटी तक पहुंचा हो और फिर कोचिंग में पढ़ाया हो तो यह अनुभव हर स्टूडेंट के लिए उपयोग ही नहीं वरन भविष्य बनाने वाला हो सकता है।

कुछ ऐसा ही प्रयास किया गया है ‘स्ट्रेटे-जेईई‘ पुस्तक में, जिसे लिखा है, आईआईटीयन सारांश गुप्ता ने जो कि एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पांच साल तक फिजिक्स के टीचर रह चुके हैं। वर्तमान में शिक्षा को सुग्राही बनाने के लिए तकनीक के उपयोग पर अपना कार्य कर रहे हैं। यह पुस्तक स्टूडेंट्स के पांच हजार सवालों के समाधान पर आधारित है।

सारांश का कहना है कि इस पुस्तक में हर उस छोटी बात को शामिल किया गया है जो विद्यार्थी को परीक्षा देने के बाद अनुभव होती है। स्ट्रेटे-जेईई का अर्थ है कि ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम के लिए स्ट्रेटजी क्या हो। यह इवेंट चैम्प मीडिया द्वारा आयोजित किया गया।

पुस्तक का विमोचन रविवार को सिटीमॉल में समारोह आयोजित कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एन.पी.कौशिक रहे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में फेकल्टीज व कोचिंग स्टूडेंट्स भी मौजूद रहे, जिन्होंने किताब के बारे में सारांश से बातचीत की। शहर के कोचिंग संस्थानों की फेकल्टीज और गणमान्य नागरिक भी यहां उपस्थित रहे। 125 पेज की इस पुस्तक को ओकब्रिज पब्लिकेशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है।

ये है पुस्तक में
सारांश ने बताया कि किताब मुख्यतः चार बिन्दुओं पर आधारित है। इसमें सबसे पहले है कि इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम) यानी जेईई की तैयारी कैसे करें। जेईई की पढ़ाई शुरू होने के साथ ही क्या टाइम मैनेजमेंट रहना चाहिए। किस विषय को किस तरह से कितना समय दिया जाना चाहिए। हमारी दिनचर्या में क्या-क्या शामिल होना चाहिए।

पढ़ाई को कितना समय दें और अन्य गतिविधियों में कितना इन्वोल्व रहें। रोजाना की पढ़ाई के बाद रिवीजन कैसे करें, हर दूसरे सप्ताह होने वाले टेस्ट में परफोरमेंस बनाए रखने के लिए तैयारी कैसे करें। टेस्ट का एनालिसिस कैसे करें। फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स में तालमेल कैसे बिठाएं।

2018 में पहली बार ऑनलाइन एग्जाम होने वाले हैं। ऑनलाइन एग्जाम में क्या चुनौतियां होती हैं, कैसे खुद को तैयार करें ऑनलाइन एग्जाम के लिए, इन सभी बातों को इस पुस्तक में समाहित किया गया। इसके साथ ही परीक्षा के एक महीने पहले किस तरह स्वयं को तैयार करें। क्या-क्या बदलाव करें।

मोटिवेशनल –पुस्तक में कुछ साक्षात्कार व उदाहरणों के जरिए विद्यार्थियों को मोटिवेट करने की भी कोशिश की गई है। इसमें आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम के टॉपर रहे अचिन बंसल और साई संदीप के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं। इसके अलावा विपरित परिस्थितियों के बावजूद पढ़ाई करके आईआईटी में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों के साक्षात्कार के जरिए प्रेरित करने की कोशिश की गई है। जेईई-मेन व जेईई-एडवांस में किस तरह की समानताएं हैं, इन सभी बातों के बारे में भी यहां बताया जा रहा है।

आईआईटी में लाइफ
इस भाग में आईआईटी में प्रवेश मिलने के बाद क्या-क्या संभावनाएं जीवन में रहती हैं। किस तरह आईआईटी की पढ़ाई आपके जीवन को नई दिशा दे सकती है। अपनी प्रतिभाओं को कैसे निखारा जा सकता है। इंजीनियरिंग ही नहीं अन्य गतिविधियों में भी किस तरह आपको आईआईटी में निखारने का मौका मिलता है। सर्वांगीण विकास कैसे होता है यह सब यहां बताया गया है।

सारांश गुप्ता: एक परिचय
लेखक आईआईटीयन सारांश गुप्ता का जन्म कोटा में ही हुआ। यहीं प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद दसवीं कक्षा में अच्छे अंक लाने पर राज्य स्तर पर पुस्तकृत हुए। तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने सीबीएसई बोर्ड में 94.6 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर सम्मानित किया। इसके बाद आईआईटी के लिए कोचिंग की।

अखिल भारतीय स्तर पर 41वीं रैंक प्राप्त की। आईआईटी मुम्बई से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई की। इसी दौरान गूगल व मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट जर्मनी में इंटर्नशिप की। इसके बाद ऑरेकल और गोल्डमैन सेक में बतौर सॉफ्टवेयर डवलपर और सीनियर एनालिस्ट काम किया। तकनीकी क्षेत्र में अनुभव लेने के बाद एजुकेशन में रूचि रखते हुए एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट से जुड़े़। यहां पांच साल तक फिजिक्स पढ़ाई। हजारों विद्यार्थियों को यहां मार्गदर्शन दिया।