GST : स्‍क्रूटनी नोटिस भेजना शुरू, 34% कारोबारियों के हिसाब में अंतर

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नई दिल्‍ली। GST ऑफिसरों ने उन कंपनियों को स्‍क्रूटनी नोटिस भेजना शुरू कर दिया है जिनके टैक्‍स पेमेंट और फाइनल सेल्‍स रिटर्न मैच नहीं कर रहे हैं। यह नोटिस ने इस बात का पता लगाया था कि 34 फीसदी का सेल्‍स और टैक्‍स पेमेंट में अंतर है।

GSTR-1 और GSTR-2A का किया गया है मिलान
जिन कंपनियों की फाइनल GSTR-1 रिटर्न GSTR-2A से मैच नहीं कर रही है उनको नोटिस भेजना शुरू कर‍ दिया गया है। GSTR-1 सेल्‍स रिटर्न है, जबकि GSTR-2A पर्चेज रिटर्न होता है। न्‍यूज एजेंसी के अनुसार सूत्रों का कहना है कि जिनके इन दोनों रिटर्न में अंतर है उनकी स्‍क्रूटनी करके नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है।

रेवेन्‍यू डिपार्टमेंट ने किया विश्‍लेषण
रेवेन्‍यू डिपार्टमेंट के मार्च 2018 तक विश्‍लेषण के हिसाब से 34 फीसदी बिजनेस हाउस ने करीब 34400 करोड़ रुपए कम टैक्‍स पेड किया है। यह अंतर जुलाई से दिसबंर 2017 के बीच पाया गया है।

डिपार्टमेंट ने यह विश्‍लेषण GSTR-3B फाइन होने के बाद किया है। इन 34 फीसदी कारोबारियों ने कुल मिलाकर 8.16 लाख करोड़ रुपए का टैक्‍स दिया है, लेकिन विश्‍लेषण के बाद पता चला है कि इनको 8.50 लाख करोड़ रुपए का टैक्‍स देना चाहिए था।

14 मई तक जवाब माँगा 
एक नोटिस 4 मई को गुजरात GST कमिश्‍नर ने जारी किया है। इस नोटिस में कहा गया है कि वह बताएं कि क्‍यों उनके GSTR-3B और GSTR-1 के हिसाब से टैक्‍स में अंतर है। इस नोटिस का उत्‍तर देने के लिए कारोबारी को 14 मई 2018 तक का मौका दिया गया है।

इस नोटिस में साफ साफ कहा गया है कि अगर 14 मई तक इसका जबाव नहीं दिया तो मान लिया जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आगे की कानूनी कर्रवाई शुरू की जाएगी।

GST नियमों से कम दिया गया है समय
टैक्‍स के जानकारों का कहना है कि GST लॉ के अनुसार किसी भी नोटिस का जबाव देने के लिए 30 दिनों का समय दिया जाएगा, लेकिन इस नोटिस में केवल 10 दिन का समय दिया गया है।

AMRG & Associates के पार्टनर रजत मोहन के अनुसार सरकार ने अधिकारियों को साफ साफ बता रखा है कि नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की जाए। उनके अनुसार नोटिस के बार कारोबारी को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए।

सरकार को मिला 7.41 लाख करोड़ रुपए का टैक्‍स
सरकार को जीएसटी से बीते वित्‍तीय वर्ष में 7.41 लाख करोड़ रुपए मिला है। हालांकि इस बात को लेकर चिंता लगातार जताई जा रही है कि टैक्‍स चोरी रोकने का कोई तरीका न होने से टैक्‍स चोरी हो सकती है। पिछले वर्ष 1 जुलाई 2017 को देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स (GST) को लागू किया गया था।