बंटाईदार किसानों को बाजार हस्तक्षेप योजना से लहसुन की बिक्री में नुकसान

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कोटा। केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार गुरुवार से हाड़ौती में बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत 3257 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 25 एमएम क्वॉलिटी का लहसुन खरीदेगी।

खेती किसानी के विशेषज्ञों का मानना है कि उक्त योजना के तहत लहसुन खरीद के बावजूद बंटाईदार किसानों को प्रति बीघा 10 हजार रुपए का सीधा नुकसान होगा, इस नुकसान से हाड़ौती के 70 फीसदी किसान प्रभावित होंगे। वहीं जिन किसानों के घर की जमीन है।

उन्हें बाजार हस्तक्षेप योजना से कोई राहत नहीं मिलेगी। उनके लिए नो लॉस नो प्रॉफिट का मामला रहेगा। बंटाईदार किसान द्वारा लहसुन उत्पादन करने में 35 से 42 हजार रुपए खर्च करने पड़े हैं। जमीन मालिक वाले किसान का खर्च आया है 20 से 24 हजार रुपए प्रति बीघा। इधर, सरकार प्रदेशभर में डेढ़ लाख टन लहसुन बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीदेगी।

हाड़ौती में 7 लाख टन लहसुन पैदा हुआ है। ऐसे में संभाग में उत्पादित हुए लहसुन का सरकार 20 फीसदी मतलब 1 लाख 40 हजार के करीब लहसुन खरीद पाएगी। बाकी लहसुन किसानों को मंडियों में व्यापारियों को ही बेचना पड़ेगा। बाजार में लहसुन औसत भाव 1800 से 2000 प्रति क्विंटल से बिक रहा है। इस भाव में 70 फीसदी लहसुन बिक रहा है। 30 फीसदी लहसुन 200 से 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है।

दो कैटेगरी में हो खरीद:कृषि एक्सपर्ट दुलीचंद बोरदा ने बताया कि व्यापारी लहसुन को तीन कैटेगरी बनाकर खरीदता है। सरकार तीन नहीं तो कम से कम दो कैटेगरी में खरीदे। टॉप क्वालिटी का लहसुन सरकार 5000 रुपए व इससे नीचे वाली क्वालिटी का लहसुन 3500 रुपए प्रति क्विंटल खरीदे।

चूंकि इस बार क्षेत्र में बारिश कम हुई। नहरी टेल एरिया के किसानों को समय पर पानी नहीं मिला। ऐसे में किसानों ने 700 से लेकर 1000 रुपए प्रति बीघा से किराये का पानी लेकर लहसुन में सिंचाई की है। सरकार 3257 रुपए में किसानों को लहसुन खरीदने जा रही है। इससे किसानों का फायदा नहीं होगा।

समर्थन मूल्य कम से कम 4000 रुपए हो :दशरथ कुमार ने कहा हाल ही में नीति आयोग की दिल्ली में किसान संगठनों के साथ मीटिंग हुई थी। वहां भी केंद्र सरकार को सुझाव दिया गया है कि बाजार हस्तक्षेप योजना से लहसुन खरीदना किसानों को राहत देना का स्थाई समाधान नहीं है। किसानों को अगर राहत देनी है, तो लहसुन का सरकार समर्थन मूल्य घोषित करे। जो कम से कम 4000 रुपए प्रति क्विंटल हो।

इन्होंने की आत्महत्या
-3 जून को रोण गांव के सत्यनारायण मीणा की सदमें से मौत 21 जून को बारां के संजय मीणा ने फांसी लगाकर दी जान।
-23 जून को झालावाड़़ के बगदीलाल ने फांसी लगाई।
-24 जून को डग के शेख हनीफ ने जहर पीकर जान दी। 27 जून को श्रीपुरा के मुरलीधर मीणा ने सल्फॉस खाकर जान दी। (2017)
-19 अप्रैल को बारां के रेवड़ी लाल मेघवाल ने जहर खाकर जान दी। 24 अप्रैल को कजलिया गांव के लक्ष्मीचंद सुमन ने कीटनाशक पीकर जान दी। –
-22 अप्रैल को वाजिंदपुरा के बजेसिंह ने आत्महत्या का प्रयास किया। (2018)
हाड़ौती में 10 लाख किसानों पर 1 लाख रुपए का कर्ज। संभाग के किसानों पर करीब 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है।