1000 में तो महीने का राशन भी नहीं आता, कैसे गुजारा करें पेंशनर

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नई दिल्‍ली। शहर हो या देश के दूरदराज का इलाका। 1,000 रुपए में तो परिवार के गुजारे के लायक महीने भर का राशन भी नहीं आता है। परिवार की बाकी जरूरतों की बात करना बेमानी है। लेकिन देश के 60 लाख पेंशनर्स 1,000 रुपए महीना न्‍यूनतम पेंशन पर अपना खर्च चला रहे हैं। यह संगठित क्षेत्र में काम करके रिटायर हुए पेंशनर्स को सामाजिक सुरक्षा कवर मुहैया कराने वाली सरकारी स्‍कीम का सच है। 

2014 में तय हुई थी 1,000 रुपए न्‍यूनतम पेंशन
इस स्‍कीम का एक पहलू यह भी है कि 2014 से पहले तक इस स्‍कीम के तहत कोई मिनिमम पेंशन तय नहीं थी। इस स्‍कीम के तहत हजारों पेंशनर्स को 50 रुपए से लेकर 100 रुपए और 500 पेंशन भी मिल रही थी। पेंशनर्स की सालों की मांग पर ईपीएफओ से लेकर वित्‍त मंत्रालय तक फाइल घूमने के बाद तय हुआ कि महंगाई बहुत बढ़ गई है और अब ईपीएस स्‍कीम के तहत न्‍यूनतम पेंशन 1,000 रुपए तय की जाए।

इसके बाद लगभग 60 लाख पेंशनर्स के लिए न्‍यूनतम 1,000 रुपए पेंशन सुनिश्चित हो सकी। सवाल यह है कि पेंशनर्स को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के लिए शुरू की गई यह स्‍कीम पेंशनर्स पर बोझ कैसे बन गई। खासकर तब जब सरकार इस स्‍कीम में सब्सिडी भी देती है यानी पेंशन फंड में सरकार भी योगदान करती है।

कम सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए बनी थी स्‍कीम
कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि इम्‍पलाइज पेंशन स्‍कीम, 95 को कम सैलरी वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के मकसद से तैयार किया गया था। उस समय प्राइवेट सेक्‍टर इतना बड़ा नहीं था।

लेकिन प्राइवेट सेक्‍टर के विस्‍तार के साथ इस स्‍कीम का कवरेज बढ़ा लेकिन बदलते समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस स्‍कीम में जरूरी बदलाव नहीं किए गए। इसी का नतीजा है कि पेंशनर्स को मिल रही न्‍यूनतम 1,000 पेंशन भी आज के समय में नाकाफी है।

ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ के महासचिव और ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टी के मेंबर विरजेश उपाध्‍याय ने कहा कि हम सरकार से ईपीएस स्‍कीम के तहत बेहतर पेंशन सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। हायर पेंशन का मामला भी अदालत में चल रहा है।

ईपीएस स्‍कीम को बोझ मानती है सरकार
न्‍यू पेंशन स्‍कीम लॉन्च होने के बाद और इस स्‍कीम को सबके लिए उपलब्‍ध कराने के बाद केंद्र सरकार ने भी ईपीएस स्‍कीम को लेकर अपना रवैया बदल लिया है। न्‍यू पेंशन स्‍कीम में सरकार का कोई योगदान नहीं करना होता है। इस स्‍कीम में सब्‍सक्राइबर जो पैसा जमा करता है उसी पैसे से उसका रिटायरमेंट फंड और पेंशन की राशि तय होती है।

लेकिन ईपीएस स्‍कीम में केंद्र सरकार हर मेंबर के पेंशन फंड में उसकी सैलरी का 1.16 फीसदी योगदान करती है। केंद्र सरकार इस योगदान को अब लायबिलिटी मानती है और सरकार का प्रयास है कि ईपीएस स्‍कीम के बजाए न्‍यू पेंशन स्‍कीम को प्रमोट किया जाए।

2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में वित्‍त मंत्रालय ने ईपीएफओ को सुझाव दिया था कि नए ईपीएस मेंबर्स को न्‍यू पेंशन स्‍कीम का ऑप्‍शन दिया जाए। हालांकि ईपीएफओ ने वित्‍त मंत्रालय के इस सुझाव को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि ईपीएस डिफाइंड बेनेफिट स्‍कीम है। इस स्‍कीम में पेंशनर्स को तय बेनेफिट मिलते हैं। न्‍यू पेंशन स्‍कीम से इसकी तुलना नहीं हो सकती है।

न्‍यूनतम पेंशन बढ़ाकर 7,500 रुपए करने की मांग
पेंशनर्स के संगठन ईपीएस 95 राष्‍ट्रीय संघर्ष समित ने कुछ माह पहले राष्‍ट्रीय रजधानी में संसद के सामने मार्च निकाला था। समिति की मांग की ईपीएस के तहत पेंशनर्स के लिए न्‍यूनतम पेंशन को बढ़ा कर 7,500 रुपए किया जाए। संसद में यह मुद्दा उठने के बाद लेबर मिनिस्‍टर ने इस मसले पर एक एक्‍सपर्ट कमेटी का गठन किया है। लेकिन अब तक इस मसले पर जल्‍द फैसला होने का संकेत नहीं मिल रहा है।

ईपीएस के नए मेंबर्स का क्‍या होगा
ईपीएफओ के सेंट्रल पीएफ कमिश्‍नर रह चुके रिटायर्ड आईएएस केके जालान का कहना है कि ईपीएफओ ने सितंबर 2014 में ईपीएस स्‍कीम में संशोधन किया है। इसके तहत सितंबर 2014 के बाद से ईपीएस के मेंबर बनने वालों का पेंशन फंड में कंट्रीब्‍यूशन 1250 रुपए से अधिक नहीं हो सकता है। यह कंट्रीब्‍यूशन 15,000 रुपए वेज सीलिंग पर तय किया गया है। इस वेज सीलिंग के हिसाब से नए मेंबर्स को 7500 रुपए से अधिक पेंशन नहीं मिल सकती है। अगर सरकार वेज सीलिंग बढ़ाती है तो बात अलग है।