आईएमएफ की रिपोर्ट में भारत की तारीफ, चीन को झटका

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नई दिल्ली। इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) का कहना है कि जीडीपी के अनुपात में भारत पर बहुत ज्यादा कर्ज है, लेकिन वह सही नीतियों के जरिए इसे तेजी से कम करने का प्रयास कर रहा है। आईएमएफ के वित्तीय मामलों के विभाग के डेप्युटी डायरेक्टर अब्देल सेन्हादजी का कहना है कि वित्त वर्ष 2017 में भारत सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद का 70 प्रतिशत रहा है।

उन्होंने कहा, ‘कर्ज का स्तर काफी ज्यादा है, लेकिन अधिकारी सही नीतियों के माध्यम से इसे मध्यम स्तर पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।’ वहीं आईएमएफ ने चीन के कर्ज को चुनौती बताते हुए कहा कि चीन के लिए कर्ज का स्तर एक बड़ी चुनौती है और इसे कम करने के लिए पेइचिंग को रेवेन्यू के स्रोतों पर फिर से विचार करना चाहिए।

आईएमएफ के शीर्ष अधिकारी का कहना है कि भारत संघीय स्तर पर अपने राजकोषीय घाटे को तीन प्रतिशत और कर्ज के अनुपात को 40 प्रतिशत के मध्यम स्तर पर लाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि यह लक्ष्य सही है।’

इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘चीन के मामले में मुख्य चिंता कुल कर्ज के संचय के स्तर और गति को साथ करना है। ऐसे में कर्ज के स्तर पर नियंत्रण और खास तौर पर कर्ज के संचय की गति चीनी अर्थव्यवस्था के कड़ी चुनौती है।’

इस सब से अलग, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स द्वारा किए गए सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया कि भारत इस साल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के बीच टॉप पर होने का दावा कर सकता है।

यह सर्वे 11 अप्रैल से 18 अप्रैल के बीच हुआ। इसमें दावा किया गया कि इस वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर सकती है। आईएमएफ के प्रजेंटेशन में इस बात का भी जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी। हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की टेंशन भारत की तरक्की में भी रूकावट बन सकती है।