RBI की रोक के बाद, भारत छोड़ने की तैयारी में बिटकॉइन एक्सचेंज

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मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जब से बैंकों के क्रिप्टोकरंसी में डीलिंग करने पर रोक लगाई है तब से जेबपे, यूरोकॉइन, कॉइनसिक्योर, बाययूकॉइन और बीटीसीएक्स इंडिया सहित बहुत से बिटकॉइन एक्सचेंज अपना मुख्यालय भारत से बाहर ले जाने की संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं।

बहुत से बिटकॉइन एक्सचेंज ने अपने अडवाइजर्स से सलाह मशविरा करना शुरू कर दिया है और वे कई तरह के टैक्स स्ट्रक्चर पर काम कर रहे हैं। ज्यादातर एक्सचेंज यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या वे अपना बेस सिंगापुर, डेलावेयर या बेलारूस जैसे देशों में शिफ्ट कर सकते हैं?

बैंकिंग रेग्युलेटर ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को बैंकों से उन ऐंटिटीज या इंडिविजुअल्स को कोई भी सर्विस नहीं देने के लिए कहा था, जो वर्चुअल करंसी में डील करते हैं या फिर उसमें सेटलमेंट करते हैं। इस घोषणा के चलते कई इन्वेस्टर्स में क्रिप्टोकरंसी बेचने की होड़ मच गई है।

ज्यादातर क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज को इस बात का डर सता रहा है कि आरबीआई का ऐलान उनके कारोबार पर ताला लगा सकता है और उनके लिए देश में कामकाज चलाना मुश्किल हो जाएगा। क्रिप्टोकरंसी वॉलिट और एक्सचेंज बाययूकॉइन के सीईओ शिवम ठकराल ने कहा, ‘हमें अपनी कंपनी को ऐसे देश में ले जाना होगा, जहां का कानून बैंक खाता खोलने की इजाजत हो और जहां सिर्फ कागजी करंसी में डील करना जरूरी नहीं हो।’

ये एक्सचेंज देश में कामकाज बंद करने से पहले मौजूदा कस्टमर्स का अकाउंट सेटल करने की कोशिश कर रहे हैं। एक्सचेंजों का मानना है कि अगर वे अपना हेडक्वॉर्टर और परमानेंट एस्टेब्लिशमेंट किसी अन्य देश ले जाते हैं तो भारत के कुछ कानून उन पर लागू नहीं होंगे।

परमानेंट एस्टेब्लिशमेंट टैक्स का एक कॉनसेप्ट है, जिसके तहत यह तय होता है कि किस देश को संबंधित एंटिटी से टैक्स वसूलने का अधिकार है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक्सचेंजों के पास दो ही रास्ते होंगे, या तो वे बिजनस बंद करें या किसी दूसरे देश में उसे ले जाएं।

ग्रांट थॉर्नटन अडवाइजरी के डायरेक्टर रियाज थिंगना ने कहा, ‘एक्सचेंजों के विदेश में शिफ्ट होने पर भी भारतीय निवेशक इनोवेटिव स्ट्रक्चर के जरिए उनके मार्फत वर्चुअल करंसी में निवेश जारी रख पाएंगे। हालांकि, इससे भारत में वर्चुअल करंसी ट्रेडिंग का वॉल्यूम कम होगा, लेकिन यहां के बिजनस से होने वाले मुनाफे पर शायद टैक्स ना लगे क्योंकि इनका परमानेंट एस्टेब्लिशमेंट विदेश शिफ्ट हो चुका होगा।’

इन एक्सचेंजों को सिर्फ आरबीआई से ही दिक्कत नहीं हो रही है, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और अप्रत्यक्ष कर विभाग की वजह से भी उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। आयकर विभाग ने करीब 5 लाख निवेशकों को नोटिस जारी किया था।

अप्रत्यक्ष कर विभाग ने भारत में काम करने वाले बिटकॉइन एक्सचेंजों की इसलिए जांच शुरू की है ताकि उन पर किस रेट से जीएसटी लगाना है, यह तय किया जा सके। पिछले वित्त वर्ष में सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट और वैट अथॉरिटीज ने बिटकॉइन पर टैक्स लगाने को लेकर जांच शुरू की थी।

सूत्रों ने बताया कि हालिया सख्ती के बाद जहां इनमें से कुछ एक्सचेंजों ने अपने अडवाइजर्स से कानूनी राय मांगी है, वहीं दूसरे एक्सचेंज विदेश जाने की तैयारी शुरू कर चुके हैं। इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों का कहना है कि ज्यादातर बिटकॉइन एक्सचेंजों को पहले से बैन लगाए जाने की आशंका थी। इसलिए उन्होंने पहले से ही देश से बाहर मौजूदगी बना ली थी।

ब्लॉक चेन कंसल्टेंसी, ब्लॉक नेक्स्ट सॉलूशंस के फाउंडर सिद्धार्थ सोगनी ने कहा, ‘अधिकतर भारतीय एक्सचेंजों ने सिंगापुर और अमेरिका में कंपनी खोल रखी है। भले ही उन्हें विदेश जाना पड़ रहा हो, लेकिन कोई भी क्लाइंट उनकी वेबसाइट यहां से एक्सेस करके क्रिप्टो टु क्रिप्टो ट्रेड कर सकता है।’ ब्लॉक नेक्स्ट कंपनियों को क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने में मदद करती है।