राजस्थान की कोई भी सरकारी यूनिवर्सिटी टॉप 100 में नहीं: कल्याण सिंह

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कोटा। कोटा यूनिवर्सिटी के 5वें कनवोकेशन में भी कोटा यूनिवर्सिटी में हुई नियुक्तियों का विवाद और यूनिवर्सिटी की गिरती रैंकिंग पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोटा यूनिवर्सिटी में हुई भर्तियों की जांच सरकार तीन साल से कर रही है। शासन से पूछा जाएगा कि उनको जांच पूरी करने में कितना समय लगेगा। वह बुधवार को यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। 

उन्होंने सलाह दी कि निष्ठा, ईमानदारी, निर्भीकता और निष्पक्ष होकर शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए। एनआईआरएफ की ओर जारी रैंकिंग में पिछड़ने से राज्यपाल ने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कोटा यूनिवर्सिटी टॉप 200 यूनिवर्सिटी की सूची से बाहर है।

अगर मैं सही हूं तो कोई राजस्थान की कोई भी सरकारी यूनिवर्सिटी टॉप 100 में नहीं है। इसका प्रमुख कारण शिक्षकों की कमी है। सभी कुलपतियों से 15 अप्रैल तक यह सूची मांगी गई है कि उनके विश्वविद्यालय में कितने पद रिक्त हैं। इतने पद ऐसे हैं, जिस पर शासन की नियुक्ति के बाद भी शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं किया।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में भाषा का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है। संवाद की भाषा का स्तर गिर रही है। आपसी संवाद में गरिमा युक्त भाषा का प्रयोग भी राजस्थान की विशेषताओं में शामिल है। उन्होंने सलाह दी कि विश्वविद्यालय प्रशासन मेरिट से किसी प्रकार का समझौता नहीं करें।

ये कारण बताए पद नहीं भरने के
राज्यपाल ने कहा कि कई विश्वविद्यालय में यूजीसी के नियमों के अनुसार पर स्वीकृत नहीं है।

जहां स्वीकृत है, वहां पदों को भरे जाने के आदेशों की प्रतीक्षा में लंबा समय निकल रहा है। जहां पदों की भर्तियों के आदेश हो गए, वहां पर शिकायतों व स्थगन के आदेश के कारण देरी हो रही है।

आगे नहीं बढ़ सकते तो बराबरी पर आओ
डिग्रियां, गोल्ड मैडल व अन्य पदकों की तुलना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि लड़कियां लड़कों से आगे हैं। उन्होंने कहा कि लड़के अगर आगे नहीं निकल सकते तो कम से कम बराबर तो आ जाओ। राज्यपाल ने कहा कि राजनीति में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। ऐसा होने पर देश की राजनीति में चार चांद लग जाएंगे।